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उन्नाव। डीएसएन डिग्री कॉलेज में रखे पुराने प्रश्नपत्र कबाड़ी को बेच दिए गए। कॉलेज गेट पर पीएसी जवानों ने देखा तो कबाड़ी को रोक लिया और प्राचार्य को जानकारी दी। प्राचार्य के अनुसार 22 मई को हो चुकी परीक्षा के बचे हुए प्रश्नपत्र हैं। जांच कराई जा रही है।
डीएसएन कॉलेज में 22 मई 2022 को बीए के छात्रों की पर्यावरण शिक्षा की परीक्षा हुई थी। यूनिवर्सिटी से भेजे गए पेपर बच गए थे। जिन्हें कंट्रोल रूम में रखवाया गया था। रविवार को कॉलेज बंद था। देर शाम को कंट्रोल रूम में रखे पेपर कबाड़ी को बेच दिए गए। गेट पर पीएसी जवान ने पेपर के बंडल देखे तो उसे रोका और प्राचार्य को इसकी जानकारी दी। प्राचार्य आनंद स्वरूप शुक्ला ने बताया कि यूनिवर्सिटी में पेपर वापस नहीं होते हैं। पेपर नष्ट करने थे। सफाई कर्मी की गलती की वजह से बाहर आ गए। कानपुर यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक अंजनी मिश्रा ने बताया कि इसके नियम की जानकारी नहीं है। देखकर बता पाऊंगा।
ये है नियम
नियमानुसार पेपर होने के बाद बंडल छह माह तक कॉलेज में रहने चाहिए। उसके बाद या तो उन्हें यूनिवर्सिटी वापस करना चाहिए या फिर परीक्षा नियंत्रक की अनुमति लेकर पेपरों को नष्ट कर देना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
उन्नाव। डीएसएन डिग्री कॉलेज में रखे पुराने प्रश्नपत्र कबाड़ी को बेच दिए गए। कॉलेज गेट पर पीएसी जवानों ने देखा तो कबाड़ी को रोक लिया और प्राचार्य को जानकारी दी। प्राचार्य के अनुसार 22 मई को हो चुकी परीक्षा के बचे हुए प्रश्नपत्र हैं। जांच कराई जा रही है।
डीएसएन कॉलेज में 22 मई 2022 को बीए के छात्रों की पर्यावरण शिक्षा की परीक्षा हुई थी। यूनिवर्सिटी से भेजे गए पेपर बच गए थे। जिन्हें कंट्रोल रूम में रखवाया गया था। रविवार को कॉलेज बंद था। देर शाम को कंट्रोल रूम में रखे पेपर कबाड़ी को बेच दिए गए। गेट पर पीएसी जवान ने पेपर के बंडल देखे तो उसे रोका और प्राचार्य को इसकी जानकारी दी। प्राचार्य आनंद स्वरूप शुक्ला ने बताया कि यूनिवर्सिटी में पेपर वापस नहीं होते हैं। पेपर नष्ट करने थे। सफाई कर्मी की गलती की वजह से बाहर आ गए। कानपुर यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक अंजनी मिश्रा ने बताया कि इसके नियम की जानकारी नहीं है। देखकर बता पाऊंगा।
ये है नियम
नियमानुसार पेपर होने के बाद बंडल छह माह तक कॉलेज में रहने चाहिए। उसके बाद या तो उन्हें यूनिवर्सिटी वापस करना चाहिए या फिर परीक्षा नियंत्रक की अनुमति लेकर पेपरों को नष्ट कर देना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
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