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केंद्रीय जेल के प्रभारी डीआईजी-वरिष्ठ अधीक्षक वीके सिंह ने बताया कि फेसबुक चलाने के लिए जेल के इंटरनेट का प्रयोग किया गया था। जिला जेल में लाइब्रेरी के पास लगे एक कम्प्यूटर पर इंटरनेट की सुविधा है। इसमें पेशी पर आने-जाने वाले बंदियों का लेखा-जोखा रखा जाता है।
कम्प्यूटर पर नए बंदियों की फोटो के साथ जानकारी अपलोड की जाती है। इसके लिए वेब कैमरा लगा है। कम्प्यूटर पर दो रायटर बंदी कार्य कर रहे थे। लाइब्रेरी में विनय काम करता था। दो और बंदी अन्य कार्यों में लगे थे। पांचों ने फायदा उठाया। विनय की फरारी के बाद पुलिस के सहयोग से हुई जांच में यह पता चला।
अधीक्षक ने बताया कि चार बंदियों में से दो सजायाफ्ता हैं। उन्हें केंद्रीय जेल में स्थानांतरित कर दिया है। दो बंदी विचाराधीन हैं। दोनों को अलग बैरक में भेज दिया गया है। उनकी मुलाकात और जेल पीसीओ से बात पर भी रोक लगा दी गई है।
जेल के कार्यों में अक्सर बंदियों को लगाया जाता है। इसमें उनकी जेल में रहने की अवधि और आचरण के साथ योग्यता भी देखी जाती है। हिसाब-किताब से संबंधित कार्य की जिम्मेदारी पढ़े-लिखे बंदियों को दी जाती है। इन्हें रायटर कहा जाता है। पांच बंदी जेल में लगे कम्प्यूटर का गलत उपयोग कर रहे थे। इसकी भनक जेल के कर्मचारियों को भी नहीं थी। केंद्रीय जेल के वरिष्ठ अधीक्षक-प्रभारी डीआईजी वीके सिंह का कहना है कि कर्मचारियों की लापरवाही है। इस संबंध में जांच की जा रही है।
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