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बिछिया। विकासखंड की ग्राम पंचायत तारगांव में 13.92 लाख रुपये की अनियमितता सामने आई है। परियोजना निदेशक डीआरडीए ने जांच के बाद प्रधान, सचिव सहित तीन लोगों को इसका जिम्मेदार बता रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी है।
16 मई को तारगांव निवासी शैलेंद्र सिंह, लल्लन और रामदत्त ने डीएम को शिकायतीपत्र दिया था। इसमें ग्राम पंचायत में कराए गए विकास कार्यों में सरकारी धन के गबन का आरोप लगाया था। डीएम ने दो सदस्यीय जांच टीम गठित की थी। टीम में जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) के परियोजना निदेशक यशवंत सिंह और आरईडी बिछिया की अवर अभियंता राखी द्विवेदी को शामिल किया गया था।
15 जुलाई को परियोजना निदेशक ने गांव जाकर जांच की। इसमें पता चला कि तारगांव के मजरा पकरा में इंटरलॉकिंग व नाली निर्माण का कार्य पूर्व प्रधान ने कराया था।
बाद में इसी कार्य को वर्तमान प्रधान व सचिव ने दो भागों में बांटकर निर्माण दिखा 4,13,702 रुपये का फर्जी भुगतान करा लिया। रामचंद्र के घर से मंदिर तक 107 मीटर लंबाई के कार्य को पांच भागों में बांटकर 9.79 लाख रुपये भुगतान लिया गया। जो पंचायतीराज विभाग के शासनादेश के विपरीत था। जांच अधिकारी ने प्रधान, सचिव व आरईडी जेई को दोषी मानते हुए कार्रवाई के लिए डीएम को रिपोर्ट भेजी है।
जो दोषी वो भी जांच टीम में रहीं शामिल
परियोजना निदेशक (पीडी) के साथ आरईडी की अवर अभियंता भी जांच टीम में शामिल रहीं। पीडी यशवंत सिंह ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि वर्तमान प्रधान व सचिव ने जिस कार्य का दो भागों में बांटकर निर्माण दिखा 4.13 लाख रुपये निकाले थे, उसका इस्टीमेट आरईडी अवर अभियंता राखी द्विवेदी ने ही तैयार किया था। जांच टीम में वह शामिल रही थीं। शासकीय धन के दुरुपयोग में वह भी दोषी पाई गईं हैं। पूरी रिपोर्ट डीएम को भेजी गई है।
बिछिया। विकासखंड की ग्राम पंचायत तारगांव में 13.92 लाख रुपये की अनियमितता सामने आई है। परियोजना निदेशक डीआरडीए ने जांच के बाद प्रधान, सचिव सहित तीन लोगों को इसका जिम्मेदार बता रिपोर्ट जिलाधिकारी को भेजी है।
16 मई को तारगांव निवासी शैलेंद्र सिंह, लल्लन और रामदत्त ने डीएम को शिकायतीपत्र दिया था। इसमें ग्राम पंचायत में कराए गए विकास कार्यों में सरकारी धन के गबन का आरोप लगाया था। डीएम ने दो सदस्यीय जांच टीम गठित की थी। टीम में जिला ग्राम्य विकास अभिकरण (डीआरडीए) के परियोजना निदेशक यशवंत सिंह और आरईडी बिछिया की अवर अभियंता राखी द्विवेदी को शामिल किया गया था।
15 जुलाई को परियोजना निदेशक ने गांव जाकर जांच की। इसमें पता चला कि तारगांव के मजरा पकरा में इंटरलॉकिंग व नाली निर्माण का कार्य पूर्व प्रधान ने कराया था।
बाद में इसी कार्य को वर्तमान प्रधान व सचिव ने दो भागों में बांटकर निर्माण दिखा 4,13,702 रुपये का फर्जी भुगतान करा लिया। रामचंद्र के घर से मंदिर तक 107 मीटर लंबाई के कार्य को पांच भागों में बांटकर 9.79 लाख रुपये भुगतान लिया गया। जो पंचायतीराज विभाग के शासनादेश के विपरीत था। जांच अधिकारी ने प्रधान, सचिव व आरईडी जेई को दोषी मानते हुए कार्रवाई के लिए डीएम को रिपोर्ट भेजी है।
जो दोषी वो भी जांच टीम में रहीं शामिल
परियोजना निदेशक (पीडी) के साथ आरईडी की अवर अभियंता भी जांच टीम में शामिल रहीं। पीडी यशवंत सिंह ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि वर्तमान प्रधान व सचिव ने जिस कार्य का दो भागों में बांटकर निर्माण दिखा 4.13 लाख रुपये निकाले थे, उसका इस्टीमेट आरईडी अवर अभियंता राखी द्विवेदी ने ही तैयार किया था। जांच टीम में वह शामिल रही थीं। शासकीय धन के दुरुपयोग में वह भी दोषी पाई गईं हैं। पूरी रिपोर्ट डीएम को भेजी गई है।
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