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मथुरा के गांव नावली के वीर सपूत रविकरन कारगिल युद्ध में 12 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मनों से अंतिम सांस तक लड़े थे। उनको आठ गोलियां लगी थीं, लेकिन रविकरन ने पाकिस्तान के 10 घुसपैठियों को मार गिराया था। कारगिल शहीद नायक रविकरन सिंह कर्नल कुशल सिंह ठाकुर की टुकड़ी में सबसे आगे थे।
नौहझील के गांव नावली निवासी किसान बिजेन्द्र सिंह के बेटे रविकरन सिंह साल 1985 में आगरा स्थित बीआरओ से सेना में भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग के बाद वह 18 ग्रेनेडियर लड़ाकू यूनिट में सिपाही बने। कुछ दिन बाद रविकरन को नायक के पद प्रोन्नति मिली। कारगिल युद्ध में वह जम्मू कश्मीर में भेजे गए।
टाइगल हिल पर थी रविकरन की यूनिट
उनकी यूनिट 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल पर लड़ रही थी। यूनिट का नेतृत्व कुशल ठाकुर कर रहे थे। पाक सैनिक और घुसपैठियों से आमने-सामने की लड़ाई और गोलाबारी चल रही थी। कर्नल कुशल ठाकुर की यूनिट के जवान बचाव करते हुए चोटियों से हमला कर रहे थे।
चार जुलाई को घुसपैठियों की ओर से हो रही फायरिंग में रविकरन सिंह आठ गोलियां लगीं थीं। वीर सपूत रविकरन सिंह अंतिम सांस तक ट्रिगर खींचते रहे। अंत में वह वीरगति को प्राप्त हो गए। सात जुलाई 1999 को उनका पार्थिव शरीर मथुरा लाया गया। इसके बाद गांव नावली में अंतिम संस्कार किया गया।
रविकरन की शहादत पर रो पड़ा था पूरा क्षेत्र
गांव नावली निवासी मनोज प्रधान और रामगोपाल चौधरी बताते हैं कि उस वक्त गांव के काफी लोग रेडियो पर समाचार सुनते थे। चार जुलाई की शाम जिला प्रशासन और नौहझील पुलिस ने रविकरन की शहादत की सूचना दी, तो नावली गांव के साथ-साथ पूरा नौहझील क्षेत्र रो पड़ा था।
रविकरन की शहादत के वक्त बेटा शैलेन्द्र मात्र 18 महीने का था। शहीद के भाई गोविंद सिंह बताते हैं कि शैलेन्द्र सिंह उस समय तुतलाकर कुछ कुछ शब्द बोलता था। और बेटी नीतू साढ़े तीन साल की थी। कारगिल विजय दिवस पर गांव के लोगों ने शहीद रविकरन को श्रद्धांजलि देकर नमन किया।
सेना में देश सेवा कर रहे क्षेत्र के जवान
नौहझील ब्लॉक क्षेत्र में नौहवारी-नरवारी के 120 गांव बसे हुए हैं। इस क्षेत्र के हजारों नौजवान सेना में देश सेवा कर रहे हैं। देश की सीमा पर नौहवारी-नरवारी के नौजवान युवक डटकर मुकाबला करते हैं। यही नहीं इन बहादुर जवानों ने समय-समय पर अपनी बहादुरी, हिम्मत और हौसले का प्रदर्शन भी किया है।
गांव जरैलिया निवासी शहीद पंकज नौहवार, रायपुर निवासी शहीद नरेन्द्र सिंह, रामनगला निवासी शहीद सतीश, खाजपुर निवासी शहीद सतवीर नौहवार सहित कई जवानों ने अपना बहादुरी का लोहा मनवाते हुए देश सेवा में अपनी जान कुर्बान की है।
विस्तार
मथुरा के गांव नावली के वीर सपूत रविकरन कारगिल युद्ध में 12 हजार फीट की ऊंचाई पर दुश्मनों से अंतिम सांस तक लड़े थे। उनको आठ गोलियां लगी थीं, लेकिन रविकरन ने पाकिस्तान के 10 घुसपैठियों को मार गिराया था। कारगिल शहीद नायक रविकरन सिंह कर्नल कुशल सिंह ठाकुर की टुकड़ी में सबसे आगे थे।
नौहझील के गांव नावली निवासी किसान बिजेन्द्र सिंह के बेटे रविकरन सिंह साल 1985 में आगरा स्थित बीआरओ से सेना में भर्ती हुए थे। ट्रेनिंग के बाद वह 18 ग्रेनेडियर लड़ाकू यूनिट में सिपाही बने। कुछ दिन बाद रविकरन को नायक के पद प्रोन्नति मिली। कारगिल युद्ध में वह जम्मू कश्मीर में भेजे गए।
टाइगल हिल पर थी रविकरन की यूनिट
उनकी यूनिट 12 हजार फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित टाइगर हिल पर लड़ रही थी। यूनिट का नेतृत्व कुशल ठाकुर कर रहे थे। पाक सैनिक और घुसपैठियों से आमने-सामने की लड़ाई और गोलाबारी चल रही थी। कर्नल कुशल ठाकुर की यूनिट के जवान बचाव करते हुए चोटियों से हमला कर रहे थे।
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