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उन्नाव/हसनगंज। बारिश के कारण मनरेगा कार्य बाधित होने लगे हैं। ऐसे में काम न मिलने के कारण मजदूर रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे हैं।
ग्रामीणों का शहरी इलाकों में पलायन रोकने और गांवों का विकास करने के लिए केंद्र सरकार मनरेगा योजना चला रही है। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जॉबकार्डधारक को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। एक दिन के काम को मानव दिवस के रूप में जोड़ा जाता है लेकिन फिलहाल बारिश ने मनरेगा मजदूरों का काम बिगाड़ दिया है। किसी भी प्रकार का कच्चा कार्य बारिश के कारण नहीं हो पा रहा है। जुलाई में 17.30 लाख मानव दिवस का लक्ष्य था लेकिन संख्या 15.68 लाख ही रही। काम न मिलने के कारण मनरेगा मजदूर मुंबई, हरियाणा, पंजाब, लुधियाना, दिल्ली व अन्य शहरों का रुख करने लगे हैं। श्रमिक अरविंद, राजीव, सोनू, जय प्रकाश, राजू, सुंदर, राम प्रकाश व विनोद आदि ने बताया कि काम मिलने से परिवार चलाने में दिक्कत हो रही है। इसी कारण रोजी-रोटी की व्यवस्था के लिए बाहर जाना मजबूरी है।
मनरेगा से कराए जाने वाले कार्य
– लघु सीमांत कृषकों की उपजाऊ भूमि में सुधार करना
– ऊसर, बीहड़ एवं बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना
– जलभराव वाले क्षेत्रों का उपचार कर फसल उत्पादन में वृद्धि करना
– खेत समतलीकरण, गांवों में कच्चे मार्ग निर्माण, कैटलशेड, तालाबों का सुंदरीकरण
काम तलाशने जा रहे लुधियाना
झलोतर के अरविंद ने बताया कि बारिश होने की वजह से मनरेगा में बराबर काम नहीं मिल पा रहा है। काम की तलाश करने लुधियाना जा रहे हैं।
अकबरपुर निवासी राजीव ने बताया कि सरकार 100 दिन का रोजगार मुहैया कराने की गारंटी देने की बात कहती है लेकिन गांव में 25 दिन कार्य मिल जाए तो बड़ी बात है। इसलिए बाहर जाकर सिलाई करेंगे।
ये सही है कि बारिश से मनरेगा कार्यों की रफ्तार सुस्त पड़ी है लेकिन फिर भी काम पूरी तरह से बंद नहीं हैं। माहवार जो मानव दिवस सृजन का लक्ष्य दिया गया है, उसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। – राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त।
उन्नाव/हसनगंज। बारिश के कारण मनरेगा कार्य बाधित होने लगे हैं। ऐसे में काम न मिलने के कारण मजदूर रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे हैं।
ग्रामीणों का शहरी इलाकों में पलायन रोकने और गांवों का विकास करने के लिए केंद्र सरकार मनरेगा योजना चला रही है। इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जॉबकार्डधारक को एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। एक दिन के काम को मानव दिवस के रूप में जोड़ा जाता है लेकिन फिलहाल बारिश ने मनरेगा मजदूरों का काम बिगाड़ दिया है। किसी भी प्रकार का कच्चा कार्य बारिश के कारण नहीं हो पा रहा है। जुलाई में 17.30 लाख मानव दिवस का लक्ष्य था लेकिन संख्या 15.68 लाख ही रही। काम न मिलने के कारण मनरेगा मजदूर मुंबई, हरियाणा, पंजाब, लुधियाना, दिल्ली व अन्य शहरों का रुख करने लगे हैं। श्रमिक अरविंद, राजीव, सोनू, जय प्रकाश, राजू, सुंदर, राम प्रकाश व विनोद आदि ने बताया कि काम मिलने से परिवार चलाने में दिक्कत हो रही है। इसी कारण रोजी-रोटी की व्यवस्था के लिए बाहर जाना मजबूरी है।
मनरेगा से कराए जाने वाले कार्य
– लघु सीमांत कृषकों की उपजाऊ भूमि में सुधार करना
– ऊसर, बीहड़ एवं बंजर भूमि को खेती योग्य बनाना
– जलभराव वाले क्षेत्रों का उपचार कर फसल उत्पादन में वृद्धि करना
– खेत समतलीकरण, गांवों में कच्चे मार्ग निर्माण, कैटलशेड, तालाबों का सुंदरीकरण
काम तलाशने जा रहे लुधियाना
झलोतर के अरविंद ने बताया कि बारिश होने की वजह से मनरेगा में बराबर काम नहीं मिल पा रहा है। काम की तलाश करने लुधियाना जा रहे हैं।
अकबरपुर निवासी राजीव ने बताया कि सरकार 100 दिन का रोजगार मुहैया कराने की गारंटी देने की बात कहती है लेकिन गांव में 25 दिन कार्य मिल जाए तो बड़ी बात है। इसलिए बाहर जाकर सिलाई करेंगे।
ये सही है कि बारिश से मनरेगा कार्यों की रफ्तार सुस्त पड़ी है लेकिन फिर भी काम पूरी तरह से बंद नहीं हैं। माहवार जो मानव दिवस सृजन का लक्ष्य दिया गया है, उसे हर हाल में पूरा किया जाएगा। – राजेश कुमार झा, मनरेगा उपायुक्त।
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