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गंगा को साफ करने का जो सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा है, उसमें ईशन नदी राह का रोड़ा है। मैनपुरी जिले से होकर बहने वाली गंगा की सहायक नदी ईशन में सीधे सीवेज बहाया जा रहा है। ये सीवेज ईशन के माध्यम से गंगा में जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि सीवेज शोधन के लिए बना एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) महीनों से ठप पड़ा हुआ है। शहर से आने वाला सीवेज नाले के सहारे सीधे ईशन नदी में बहाया जा रहा है।
शहर के पॉवर हाउस रोड स्थित जल निगम कार्यालय परिसर में लगा (एसटीपी) बंद हो गया है। उपकरणों के खराब होने और संचालन के लिए कर्मचारी न होने से कार्य ठप है। इसके चलते घरों से निकलने वाला सीवेज बिना शोधन के ही ईशन नदी में बहाया जा रहा है। तीन साल एसटीपी का संचालन करने वाली कंपनी के भाग जाने पर जल निगम और फिर नगर पालिका व जल निगम ने संयुक्त रूप से इसका किया पर बात नहीं बन सकी। चार माह से प्लांट बंद पड़ा है।
प्लांट पर प्रतिदिन लगभग पांच से छह लाख लीटर सीवेज का शोधन किया जाता था। यह सीवेज अब बिना शोधित किए ईशन नदी में बहाया जा रहा है। इससे गंगा नदी दूषित हो रही है। शहर से होकर बहने वाली ईशन गंगा की ही सहायक नदी है। ये कानपुर जिले के बिल्हौर के आगे गंगा में मिल जाती है। ऐसे में जब ये सीवेज ईशन से बहता हुआ गंगा में पहुंकर उसे भी दूषित कर रहा है।
कई मशीनें भी हुईं खराब
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में कचरा निस्तारण समेत अन्य कार्यों के लिए मशीनें लगी हुई हैं। वर्तमान में अधिकांश मोटर व उपकरण खराब हो चुके हैं। इससे प्लांट का संचालन मुश्किल है। इसके लिए इन मशीनों की मरम्मत करानी होगी।
14 साल पहले हुआ था निर्माण
शासन द्वारा वर्ष 2008 में एसटीपी का निर्माण कराया गया था। इसी के साथ शहर में सीवर लाइन डालने का काम भी किया गया था। प्लांट जल निगम को हैंडओवर कर दिया गया था तो वहीं सीवर लाइन नगर पालिका को हैंडओवर कर दी गई थी। इस एसटीपी की क्षमता 23 मिलियन लीटर प्रतिदिन है।
फिरोजाबाद के अधीन है प्लांट
प्रभारी अधिशासी अभियंता जल निगम अंकित यादव ने बताया कि जल निगम को दो भागों में बांट दिया गया है। ग्रामीण क्षेत्र मैनपुरी जल निगम के अधीन है तो वहीं शहरी क्षेत्र फिरोजाबाद के अधीन है। एसटीपी शहरी क्षेत्र का हिस्सा है, इसलिए अब इसके संचालन का जिम्मा फिरोजाबाद का है। फिरोजाबाद के अधिकारियों से संपर्क नहीं हो सका।
विस्तार
गंगा को साफ करने का जो सपना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देखा है, उसमें ईशन नदी राह का रोड़ा है। मैनपुरी जिले से होकर बहने वाली गंगा की सहायक नदी ईशन में सीधे सीवेज बहाया जा रहा है। ये सीवेज ईशन के माध्यम से गंगा में जा रहा है। ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि सीवेज शोधन के लिए बना एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) महीनों से ठप पड़ा हुआ है। शहर से आने वाला सीवेज नाले के सहारे सीधे ईशन नदी में बहाया जा रहा है।
शहर के पॉवर हाउस रोड स्थित जल निगम कार्यालय परिसर में लगा (एसटीपी) बंद हो गया है। उपकरणों के खराब होने और संचालन के लिए कर्मचारी न होने से कार्य ठप है। इसके चलते घरों से निकलने वाला सीवेज बिना शोधन के ही ईशन नदी में बहाया जा रहा है। तीन साल एसटीपी का संचालन करने वाली कंपनी के भाग जाने पर जल निगम और फिर नगर पालिका व जल निगम ने संयुक्त रूप से इसका किया पर बात नहीं बन सकी। चार माह से प्लांट बंद पड़ा है।
प्लांट पर प्रतिदिन लगभग पांच से छह लाख लीटर सीवेज का शोधन किया जाता था। यह सीवेज अब बिना शोधित किए ईशन नदी में बहाया जा रहा है। इससे गंगा नदी दूषित हो रही है। शहर से होकर बहने वाली ईशन गंगा की ही सहायक नदी है। ये कानपुर जिले के बिल्हौर के आगे गंगा में मिल जाती है। ऐसे में जब ये सीवेज ईशन से बहता हुआ गंगा में पहुंकर उसे भी दूषित कर रहा है।
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