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उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वर्ष 2021 के लिए साहित्य सम्मान और पुरस्कारों की घोषणा की। इसमें पहली बार आगरा के पांच साहित्य साधकों को सम्मान और पुरस्कार से नवाजा गया है। हिंदी संस्थान द्वारा ताजनगरी के सुशील सरित को साहित्य भूषण पुरस्कार दिया गया है। डॉ. विक्रम सिंह को मधु लिमये साहित्य सम्मान से नवाजा गया। तीन पुस्तकों पर पुरस्कार दिये गए हैं, जिनमें निराला पुरस्कार कुमार ललित को, महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार प्रो. बीना शर्मा को और पांडेय बेचन शर्मा उग्र पुरस्कार राजगोपाल सिंह वर्मा को दिया गया है। पांच पुरस्कार मिलने से आगरा के साहित्य जगत में हर्ष का माहौल है।
सुशील सरित को साहित्य भूषण
बेहद सहज, सरल साहित्यकार सुशील सरित विभिन्न विधाओं में लेखनी के लिए साहित्य भूषण से सम्मानित किया जाएगा। हिंदी संस्थान द्वारा उन्हें 2.50 लाख रुपये का पुरस्कार मिलेगा। अर्जुन नगर निवासी सुशील सरित की कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता, बाल साहित्य, नृत्य नाटिका विधा में 76 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
हिंदी संस्थान की ओर से सन 2004 में शिशु गीतों के लिए सृजना सम्मान और सन 2009 में अंर्तद्वंद खंड काव्य के लिए जयशंकर प्रसाद नामित पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार सरित सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन से ज्यादा पुरस्कार सरित को मिल चुके हैं। सुशील सरित के मुताबिक मेरी पत्नी दुनिया में नहीं हैं। उनकी प्रेरणा ने मुझे हमेशा लिखने के लिए प्रेरित किया है। यह उनके लिए बेशकीमती उपहार है।
डॉ. विक्रम को मधु लिमये साहित्य सम्मान
रिटायर्ड डिप्टी कमिश्नर ट्रांसपोर्ट डॉ. विक्रम सिंह को संस्थान ने मधु लिमये साहित्य सम्मान से नवाजा है। उन्हें 2.50 लाख रुपये दिए जाएंगे। मूल रूप से मैनपुरी किशनी के गांव बंसरमऊ निवासी डॉ. विक्रम सिंह अब तक 17 पुस्तकें लिख चुके हैं। उनकेलेखन के केंद्र में मुंशी प्रेमचंद हैं।
1985 में पीसीएस में चयनित डॉ. विक्रम सिंह को 1999 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने विदेश विभाग की हिंदी सलाहकार समिति का सदस्य बनाया था। उनकी प्रमुख पुस्तक गिलिलियो का माफीनामा है। उनकी पत्नी डॉ. आभा सिंह विवि के पं. दीनदयाल उपाध्याय रूरल डेवलपमेंट संस्थान में एसोसिएट प्रोफेसर थीं। बेटी स्तुति सिंह हापुड़ में डिप्टी एसपी हैं।
राजगोपाल को पांडेय बेचन शर्मा उग्र पुरस्कार
राजगोपाल सिंह वर्मा को आत्मकथा श्रेणी में दुर्गावती पुस्तक के लिए पुरस्कृत किया गया है। उन्हें 75 हजार रुपये दिए जाएंगे। वह इससे पहले सरधना की शासक बेगम समरू पर आधारित बेगम समरू का सच पुस्तक लिख चुके हैं। इस पर उन्हें पं. महावीर प्रसाद द्विवेदी सम्मान और एक लाख रुपये की सम्मान राशि दी गई थी।
उन्हें कमलेश्वर स्मृति कथा सम्मान से भी नवाजा जा चुका है। राजगोपाल सिंह वर्मा के मुताबिक 360 डिग्री वाला प्रेम, तारे में बसी जान, गोरों का दुस्साहस, इश्क लखनवी मिजाज का आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने पांच साल तक प्रदेश सरकार की मासिक साहित्यिक पत्रिका उत्तर प्रदेश का संपादन किया है।
कुमार ललित को निराला पुरस्कार
दयालबाग निवासी साहित्यकार कुमार ललित को कोई हो मौसम मितवा के लिए निराला पुरस्कार से नवाजा गया है। उन्हें 75 हजार रुपये की सम्मान राशि दी जाएगी। कुमार ललित को साहित्य मंडल, नाथद्वारा की ओर से इसी साल फरवरी में हिंदी काव्य मनीषी की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है। संस्कार भारती, हिंदी साहित्य सभा, साहित्य त्रिवेणी पत्रिका, राष्ट्रीय कवि संगम व आलोक सभा द्वारा साहित्य गौरव और आगरा कवि गौरव से सम्मानित हो चुके हैं।
कोई हो मौसम मितवा से पहले ललित की रचना तरुणाई के स्वर, गीत साधना, नई सदी के प्रतिनिधि गजलकार, दोहा दर्पण, काव्य कुंज अग्रवन के आदि प्रकाशित हो चुका है। ललित के मुताबिक उनकी पत्नी सरिता बंसल लेखनी की सबसे बड़ी ताकत बनीं। इस सम्मान की निर्देशिका उनकी पत्नी हैं।
विस्तार
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वर्ष 2021 के लिए साहित्य सम्मान और पुरस्कारों की घोषणा की। इसमें पहली बार आगरा के पांच साहित्य साधकों को सम्मान और पुरस्कार से नवाजा गया है। हिंदी संस्थान द्वारा ताजनगरी के सुशील सरित को साहित्य भूषण पुरस्कार दिया गया है। डॉ. विक्रम सिंह को मधु लिमये साहित्य सम्मान से नवाजा गया। तीन पुस्तकों पर पुरस्कार दिये गए हैं, जिनमें निराला पुरस्कार कुमार ललित को, महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार प्रो. बीना शर्मा को और पांडेय बेचन शर्मा उग्र पुरस्कार राजगोपाल सिंह वर्मा को दिया गया है। पांच पुरस्कार मिलने से आगरा के साहित्य जगत में हर्ष का माहौल है।
सुशील सरित को साहित्य भूषण
बेहद सहज, सरल साहित्यकार सुशील सरित विभिन्न विधाओं में लेखनी के लिए साहित्य भूषण से सम्मानित किया जाएगा। हिंदी संस्थान द्वारा उन्हें 2.50 लाख रुपये का पुरस्कार मिलेगा। अर्जुन नगर निवासी सुशील सरित की कहानी, उपन्यास, नाटक, कविता, बाल साहित्य, नृत्य नाटिका विधा में 76 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
हिंदी संस्थान की ओर से सन 2004 में शिशु गीतों के लिए सृजना सम्मान और सन 2009 में अंर्तद्वंद खंड काव्य के लिए जयशंकर प्रसाद नामित पुरस्कार से सम्मानित साहित्यकार सरित सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय स्तर के तीन दर्जन से ज्यादा पुरस्कार सरित को मिल चुके हैं। सुशील सरित के मुताबिक मेरी पत्नी दुनिया में नहीं हैं। उनकी प्रेरणा ने मुझे हमेशा लिखने के लिए प्रेरित किया है। यह उनके लिए बेशकीमती उपहार है।
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