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राधिका ताई ने बताया कि स्कूल का शुल्क जमा करने के साथ पुस्तकें और पोशाक भी दिला रही हूं। कुछ अभिभावकों ने आगे की पढ़ाई के लिए फीस भरने की बात कही है। किसी परिस्थिति में वह फीस नहीं भरते तो बच्चों की पढ़ाई नहीं रुकने देंगी।
साल भर झोपड़-झुग्गी में पढ़ाने के बाद किया प्रेरित
वी एंब्रेस संस्था के राज सक्सेना ने बताया कि हमारी संस्था झुग्गियों में रहने वाले और कूड़ा बीनने वाले बच्चों को पढ़ाती है। यहां हमारी टीम के सदस्य बीते एक साल से आकर पढ़ा रहे थे, इस एक साल में बच्चों और इनके परिजन को स्कूल भेजने के लिए जागरूक किया। आर्थिक तंगी बताई तो राधिका बाई ने कदम बढ़ाए, स्कूल में प्रति बच्चे की 250 रुपये महीने शुल्क है।
राधिका ताई ने दिलाया दाखिला
दिन भर खेलते रहते थे और घर का कामकाज करते थे। जब दूसरे बच्चों को पढ़ने जाते देख उनके मन में भी स्कूल जाने को करता था। पढ़ाई के लिए घर में इतने पैसे नहीं थे, अब राधिका ताई ने स्कूल में दाखिला करा दिया है। – अनिल कुमार, कक्षा तीन
और साथी भी स्कूल जाने लगे
अब मैं भी औरों की तरह टाई, बेल्ट और पोशाक पहनकर स्कूल जाता हूं। स्कूल में मन लगाकर पढ़ता हूं। मेरा भी पढ़ने का सपना पूरा हो रहा है। दीदी ने पढ़ाने भेजा है। मेरे और साथी भी स्कूल जाने लगे हैं। – रोहित अनुरागी, कक्षा दो
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