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गंगा कटान के मुहाने पर गांव के भूरे सिंह का पहला मकान है, जो गंगा की धारा से करीब आठ मीटर दूर है। भूरे सिंह ने बताया कि उनका मकान पक्का बना हुआ है जो तीन साल पहले बनवाया था। अब कटान के खौफ से वह अपना घर खाली कर चुके हैं। बातचीत करते हुए भूरे सिंह की आंखों में आंसू छलक आए।
गांव के ही कुंवरपाल के घर के किनारे तक गंगा की धारा की दस्तक हो चुकी है। कुंवरपाल ने भी अपने घर का सामान समेट लिया। कुंवरपाल का कहना है कि कटान रुकने का नाम नहीं ले रहा। ऐसे में बस तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। गांव के रविंद्र, रामभजन, भूरे लाल, कुंवरपाल, रामकिशोर, वीरावती, कुलंदी, नूर मोहम्मद, नसीम, शांतअली भी गृहस्थी का सामान समेटकर सुरक्षित स्थानों पर ले जाते नजर आए, क्योंकि इन सभी के मकान कटान के निशाने पर हैं।
ग्रामीण भूरे सिंह ने बताया कि सिंचाई विभाग ने अब तक जो भी कार्य किए हैं, उससे कोई राहत नहीं मिल पा रही। लगातार कटान जारी है। यदि समय रहते प्रशासन ने हमारी सुनी होती तो यह हालात नहीं होते। अब तबाही से बचने का कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा। जमीनें भी कट गईं और अब मकानों की बारी है। आजीविका कैसे चलेगी समझ नहीं आ रहा।
गांव के कुंवरपाल ने बताया कि उनके मकान से गंगा की धारा कुछ ही दूरी पर है। घर भी खाली कर दिया है। कटान नहीं रुक रहा। हर काम फेल हो रहा है। अब गंगा मैया कुछ कृपा करें तो भले ही कुछ हो जाए। वरना तो बर्बादी हो जाएगी। उधर, सिंचाई विभाग की टीमें कटान रोकने का प्रयास कर रही हैं, लेकिन तेज बहाव के कारण सफलता नहीं मिल पा रही।
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