इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश : लिखित आदेश के बाद प्रिंटेड प्रोफार्मा पर जारी समन गलत नहीं

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस चार्जशीट पर संज्ञान लेकर लिखित आदेश के बाद प्रिंटेड प्रोफार्मा पर समन जारी किया जाता है तो नहीं कह सकते कि संज्ञान आदेश प्रोफार्मा आदेश है। कोर्ट ने चार्जशीट पर लिखित आदेश पर जारी कार्यवाही को सही माना है और हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए केस रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम ने श्रीमती किरन कुंवर व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका के अनुसार महिला ने थाना जेपी नगर में दर्ज प्राथमिकी पर दाखिल पुलिस चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को चुनौती दी थी।

अनुष्का उर्फ  भारती सिंह की शादी 6 फरवरी 17 को अमरोहा के गजस्थल गांव के निवासी अमितेश सिंह के साथ हुई। शादी में 20 लाख खर्च हुए। इसके बावजूद पति अमितेश, ससुर राम कुंवर, सास किरन कुंवर, जेठ दीपक कुमार, जेठानी अनामिका यादव दहेज उत्पीड़न करने लगे। दस लाख रुपये व कार की मांग की। मांग पूरी न होने पर बदसलूकी करने लगे। पति किराये के मकान में नोएडा में रहने लगा।

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पति के न रहने पर  उत्पीड़न से बचकर अनुष्का पिता के पास राजस्थान चली गई। वहां पर ससुराल वाले आए और मारपीट की, जिसमें याची घायल हो गई। महिला थाना अमरोहा में शिकायत की गई। कोई कार्रवाई न होने पर मजिस्ट्रेट की अदालत में अर्जी देकर एफआईआर दर्ज कराई गई। पुलिस ने याची व अन्य के खिलाफ  चार्जशीट दाखिल की। एसीजेएम जेपी नगर द्वारा संज्ञान लेने के आदेश को चुनौती दी गई थी।

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पुलिस चार्जशीट पर संज्ञान लेकर लिखित आदेश के बाद प्रिंटेड प्रोफार्मा पर समन जारी किया जाता है तो नहीं कह सकते कि संज्ञान आदेश प्रोफार्मा आदेश है। कोर्ट ने चार्जशीट पर लिखित आदेश पर जारी कार्यवाही को सही माना है और हस्तक्षेप करने से इन्कार करते हुए केस रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल याचिका खारिज कर दी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मोहम्मद असलम ने श्रीमती किरन कुंवर व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याचिका के अनुसार महिला ने थाना जेपी नगर में दर्ज प्राथमिकी पर दाखिल पुलिस चार्जशीट पर संज्ञान लेने के आदेश को चुनौती दी थी।

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