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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सांविधानिक न्यायालयों को न्याय करते समय व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। न्यायालयाें का यह प्रयास होना चाहिए कि सभी को निष्पक्ष और व्यवहार पूर्ण न्याय मिले। बेईमानीपूर्ण कार्रवाई को हतोत्साहित करने के लिए यथार्थपूर्ण लागत और मुआवजे का आदेश पारित करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने मामले में याची (रियल स्टेट कंपनी) को न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) द्वारा पट्टा न किए जाने पर नाराजगी जताई और उसके द्वारा जमा की गई राशि 62 करोड़, नौ लाख, 59 हजार, 254 रुपये की राशि आदेश की प्रति मिलने के 45 दिनों के अंदर वापस करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दीवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने लॉजिक्स बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
याची की ओर से तर्क दिया गया कि अथॉरिटी ने 2011 में 50 हजार स्क्वॉयर मीटर कामर्शियल भूमि लीज पर देने के लिए टेंडर निकाला था। याची ने सबसे ऊंची बोली लगाई और 62 करोड़, नौ लाख, 59 हजार, 254 रुपये की राशि विभिन्न किश्तों में जमा कर दी। लेकिन प्रतिवादी अथॉरिटी ने पट्टा विलेख निष्पादित नहीं किया था।
याची ने पट्टा आवंटन को रद्द करने और पूरी राशि को वापस करने की मांग की। कोर्ट ने कहा कि प्रतिवादी अपने दायित्वों के निर्वहन करने में असफल रहे हैं। इसलिए याची अपने द्वारा जमा की गई रकम को पाने का हकदार है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सांविधानिक न्यायालयों को न्याय करते समय व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। न्यायालयाें का यह प्रयास होना चाहिए कि सभी को निष्पक्ष और व्यवहार पूर्ण न्याय मिले। बेईमानीपूर्ण कार्रवाई को हतोत्साहित करने के लिए यथार्थपूर्ण लागत और मुआवजे का आदेश पारित करना चाहिए।
हाईकोर्ट ने मामले में याची (रियल स्टेट कंपनी) को न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) द्वारा पट्टा न किए जाने पर नाराजगी जताई और उसके द्वारा जमा की गई राशि 62 करोड़, नौ लाख, 59 हजार, 254 रुपये की राशि आदेश की प्रति मिलने के 45 दिनों के अंदर वापस करने का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दीवाकर और न्यायमूर्ति आशुतोष श्रीवास्तव ने लॉजिक्स बिल्डवेल प्राईवेट लिमिटेड की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
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