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असोहा। सदर, पुरवा और बीघापुर तहसील क्षेत्र के 25 गांवों से होकर गुजरने वाली लोन नदी का पानी पीने लायक नहीं बचा है। टेनरियों से निकलने वाले गंदे पानी ने इसे प्रदूषित कर दिया है। इसके कारण हैंडपंपों से फ्लोराइड युक्त पानी आ रहा है। इसे पीने से ग्रामीणों के हाथ-पैर टेढ़े हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हैंडपंप तक गले जा रहे हैं।
सदर तहसील क्षेत्र में संचालित टेनरियों का प्रदूषित पानी सीधे लोन नदी में छोड़ा जाता है। ग्रामीणों की शिकायत पर तीन साल पहले जल निगम ने मंगतखेड़ा, अतरसई गांवों में जाकर पानी की जांच की थी। इसमें प्रदूषित होने की पुष्टि होने पर हैंडपंपों का प्रयोग न करने की ग्रामीणों से अपील की गई लेकिन कोई विकल्प न होने से मजबूरी में प्रदूषित पानी का सेवन किया जा रहा है। पानी में फ्लोराइड की अधिकता होने से दांत पीले पड़ रहे हैं। ग्रामीणों की हड्डियां कमजोर हो रही हैं।
इन गांवों में संकट
मंगतखेड़ा, बैगांव, अतरसई, मझखोरिया, तारागढ़ी, कासुखेड़ा, मिर्जापुर सुम्हारी, हिम्मतखेड़ा, भूलेमऊ, गदोरवा, बरबट, सिंहपुर, सरसो, टिकरिया, चमियानी, अटवट, कटहर, गढ़ाकोला, सलेथू, भाटमऊ, अढौली, जाजनपुर, बैजुवामऊ, मेडीलालखेड़ा व परसंडा समेत अन्य गांवों की करीब एक लाख आबादी प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है।
खेत बंजर होने का खतरा
गांव के हाकिम ने बताया कि लोन नदी के पानी से फसलों की सिंचाई करने से खेत की उत्पादन क्षमता कम हो गई है। गेहूं, चावल की पैदावार काफी कम हो रही है। भविष्य में खेत के बंजर होने का खतरा बढ़ गया है।
अतरसई के रविशंकर का कहना है कि लोन नदी के पास उनका गांव है। नदी के कारण गांव का भी पानी प्रदूषित हो चुका है। फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं।
– एसडीएम अजीत जायसवाल ने बताया कि लोन नदी के पानी को प्रदूषित करने वाली फैक्टरियां शहर में हैं। वह जिला प्रशासन को रिपोर्ट देंगे। गांवों में पेयजल व्यवस्था सुधार के लिए जल निगम के जरिये जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
– प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शशि बिंदकर ने बताया कि चार्ज लिए हुए कुछ ही समय हुआ है। सीईटीपी (कॉमन इंफ्लुएंट ट्रीटमेट प्लांट) और फैक्टरियों में लगे निजी ईटीपी (इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) के संचालन की समीक्षा करने के साथ ही स्थलीय निरीक्षण कराया जाएगा। नदी में दूषित पानी को जाने से पूरी तरह रोका जाएगा।
असोहा। सदर, पुरवा और बीघापुर तहसील क्षेत्र के 25 गांवों से होकर गुजरने वाली लोन नदी का पानी पीने लायक नहीं बचा है। टेनरियों से निकलने वाले गंदे पानी ने इसे प्रदूषित कर दिया है। इसके कारण हैंडपंपों से फ्लोराइड युक्त पानी आ रहा है। इसे पीने से ग्रामीणों के हाथ-पैर टेढ़े हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि हैंडपंप तक गले जा रहे हैं।
सदर तहसील क्षेत्र में संचालित टेनरियों का प्रदूषित पानी सीधे लोन नदी में छोड़ा जाता है। ग्रामीणों की शिकायत पर तीन साल पहले जल निगम ने मंगतखेड़ा, अतरसई गांवों में जाकर पानी की जांच की थी। इसमें प्रदूषित होने की पुष्टि होने पर हैंडपंपों का प्रयोग न करने की ग्रामीणों से अपील की गई लेकिन कोई विकल्प न होने से मजबूरी में प्रदूषित पानी का सेवन किया जा रहा है। पानी में फ्लोराइड की अधिकता होने से दांत पीले पड़ रहे हैं। ग्रामीणों की हड्डियां कमजोर हो रही हैं।
इन गांवों में संकट
मंगतखेड़ा, बैगांव, अतरसई, मझखोरिया, तारागढ़ी, कासुखेड़ा, मिर्जापुर सुम्हारी, हिम्मतखेड़ा, भूलेमऊ, गदोरवा, बरबट, सिंहपुर, सरसो, टिकरिया, चमियानी, अटवट, कटहर, गढ़ाकोला, सलेथू, भाटमऊ, अढौली, जाजनपुर, बैजुवामऊ, मेडीलालखेड़ा व परसंडा समेत अन्य गांवों की करीब एक लाख आबादी प्रदूषित पानी पीने को मजबूर है।
खेत बंजर होने का खतरा
गांव के हाकिम ने बताया कि लोन नदी के पानी से फसलों की सिंचाई करने से खेत की उत्पादन क्षमता कम हो गई है। गेहूं, चावल की पैदावार काफी कम हो रही है। भविष्य में खेत के बंजर होने का खतरा बढ़ गया है।
अतरसई के रविशंकर का कहना है कि लोन नदी के पास उनका गांव है। नदी के कारण गांव का भी पानी प्रदूषित हो चुका है। फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गईं हैं।
– एसडीएम अजीत जायसवाल ने बताया कि लोन नदी के पानी को प्रदूषित करने वाली फैक्टरियां शहर में हैं। वह जिला प्रशासन को रिपोर्ट देंगे। गांवों में पेयजल व्यवस्था सुधार के लिए जल निगम के जरिये जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
– प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शशि बिंदकर ने बताया कि चार्ज लिए हुए कुछ ही समय हुआ है। सीईटीपी (कॉमन इंफ्लुएंट ट्रीटमेट प्लांट) और फैक्टरियों में लगे निजी ईटीपी (इंफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट) के संचालन की समीक्षा करने के साथ ही स्थलीय निरीक्षण कराया जाएगा। नदी में दूषित पानी को जाने से पूरी तरह रोका जाएगा।
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