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औरास। गोझीहार और कोठली गांव के पास बेतवा नाले पर पुल का निर्माण न होने से लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं। नाले के पार जाने के लिए सीमेंटेड विद्युत पोल रखकर आवागमन किया जा रहा है। 15 किलोमीटर के चक्कर से बचने के लिए ग्रामीणों की जान मुसीबत में है लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं है।
औरास ब्लॉक की ग्राम पंचायत अदौरा और टिकरासामद व इनके मजरों की आबादी करीब 15 हजार है। लखनऊ की सीमा से सटे होने के कारण यहां के लोग वहां जाते रहते हैं। बाजार के लिए सबसे नजदीक लखनऊ का रहीमाबाद कस्बा पड़ता है लेकिन रास्ते में पड़ने वाला बेतवा नाला इनकी राह में रोड़ा बना हुआ है।
इन गांवों से रहीमाबाद कस्बे की दूरी महज तीन किलोमीटर है। नाले पर पुल न होने से ग्रामीणों ने दूसरी ओर जाने के लिए सीमेंटेड पोल रख दिए। पैदल और साइकिल से नाले को पार करते हैं। जबकि दोपहिया और चार पहिया वाहनों को रहीमाबाद जाने के लिए 15 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। कभी-कभी दूरी से बचने के लिए बाइक सवार भी नाले के ऊपर से होकर जाते हैं। ऐसे में हादसे का डर रहता है।
विधायक बृजेश रावत ने बताया कि वह लगातार पीडब्ल्यूडी को पत्र लिख रहे हैं। वह लोकनिर्माण विभाग के मंत्री से मिलकर लघु सेतु को मंजूर कराएंगे।
पैमाइश के डेढ़ साल बीत गए
वर्ष 2020 में लोगों ने क्षेत्रीय मोहान विधायक बृजेश रावत से बेतवा नाले पर पुल बनवाने की मांग की थी। विधायक ने पुल निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा था। 18 जनवरी 2021 को पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मन्नी लाल ने चार सदस्यीय टीम के साथ दोनों स्थानों का स्थलीय निरीक्षण कर 23 जनवरी को दोनों पुलों की पैमाइश कराई थी।
उन्होंने निर्माण पर 4.55 करोड़ का खर्च बताया था। जिसमें गोझीहार गांव के सामने 30 मीटर लंबे पुल और आवागमन के लिए 1350 मीटर सड़क के निर्माण पर 2.70 करोड़ और कोठली गांव के सामने 24 मीटर पुल और 400 मीटर सड़क बनवाने में 1.85 करोड़ की लागत बताई थी। पैमाइश के डेढ़ वर्ष बाद भी कुछ नहीं हुआ।
औरास। गोझीहार और कोठली गांव के पास बेतवा नाले पर पुल का निर्माण न होने से लोग जान जोखिम में डालकर सफर कर रहे हैं। नाले के पार जाने के लिए सीमेंटेड विद्युत पोल रखकर आवागमन किया जा रहा है। 15 किलोमीटर के चक्कर से बचने के लिए ग्रामीणों की जान मुसीबत में है लेकिन कोई देखने सुनने वाला नहीं है।
औरास ब्लॉक की ग्राम पंचायत अदौरा और टिकरासामद व इनके मजरों की आबादी करीब 15 हजार है। लखनऊ की सीमा से सटे होने के कारण यहां के लोग वहां जाते रहते हैं। बाजार के लिए सबसे नजदीक लखनऊ का रहीमाबाद कस्बा पड़ता है लेकिन रास्ते में पड़ने वाला बेतवा नाला इनकी राह में रोड़ा बना हुआ है।
इन गांवों से रहीमाबाद कस्बे की दूरी महज तीन किलोमीटर है। नाले पर पुल न होने से ग्रामीणों ने दूसरी ओर जाने के लिए सीमेंटेड पोल रख दिए। पैदल और साइकिल से नाले को पार करते हैं। जबकि दोपहिया और चार पहिया वाहनों को रहीमाबाद जाने के लिए 15 किमी का चक्कर लगाना पड़ता है। कभी-कभी दूरी से बचने के लिए बाइक सवार भी नाले के ऊपर से होकर जाते हैं। ऐसे में हादसे का डर रहता है।
विधायक बृजेश रावत ने बताया कि वह लगातार पीडब्ल्यूडी को पत्र लिख रहे हैं। वह लोकनिर्माण विभाग के मंत्री से मिलकर लघु सेतु को मंजूर कराएंगे।
पैमाइश के डेढ़ साल बीत गए
वर्ष 2020 में लोगों ने क्षेत्रीय मोहान विधायक बृजेश रावत से बेतवा नाले पर पुल बनवाने की मांग की थी। विधायक ने पुल निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखा था। 18 जनवरी 2021 को पीडब्ल्यूडी के तत्कालीन अधीक्षण अभियंता मन्नी लाल ने चार सदस्यीय टीम के साथ दोनों स्थानों का स्थलीय निरीक्षण कर 23 जनवरी को दोनों पुलों की पैमाइश कराई थी।
उन्होंने निर्माण पर 4.55 करोड़ का खर्च बताया था। जिसमें गोझीहार गांव के सामने 30 मीटर लंबे पुल और आवागमन के लिए 1350 मीटर सड़क के निर्माण पर 2.70 करोड़ और कोठली गांव के सामने 24 मीटर पुल और 400 मीटर सड़क बनवाने में 1.85 करोड़ की लागत बताई थी। पैमाइश के डेढ़ वर्ष बाद भी कुछ नहीं हुआ।
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