बिछिया सीएचसी में मेट्रोजिल टेबलेट खत्म, मरीजों को नहीं मिली दवा

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बिछिया। क्षेत्र की एक लाख से अधिक की आबादी के लिए संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। यहां एक्सरे टेक्नीशियन की तैनाती है लेकिन मशीन न होने से बाहर से जांच लिखी जा रहीं हैं। सोमवार को ओपीडी में पहुंचे मरीजों ने यही पीड़ा बताई। पेट दर्द पीड़ितों को एक्सरे के लिए बाहर जाना पड़ा। केंद्र में मेट्रोजिल टैबलेट भी नहीं हैं।
बिछिया ब्लॉक क्षेत्र की 57 ग्राम पंचायतों में रहने वाली आबादी के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। यहां फिजीशियन के साथ बाल रोग विशेषज्ञ, दंतरोग विशेषज्ञ, महिला डॉक्टर शोभा द्विवेदी हैं।
जबकि प्रसूति विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। सोमवार को ओपीडी में मरीजों की भीड़ थी। इसमें सबसे अधिक पेट दर्द व बुखार पीड़ित थे। मेट्रोजिल दवा डॉक्टर बाहर से लिख रहे थे। बताया कि ये दवा स्टॉक में नहीं है। पेट दर्द के कई ऐसे मरीज थे जिन्हें एक्सरे कराना था। उन्हें बाहर से एक्सरे कराने के लिए कहा गया। सीएचसी प्रभारी डॉ. आरपी सचान ने बताया कि दवा के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है। एक्सरे मशीन के लिए भी कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखा है लेकिन अब तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है।
375 बच्चे मिले बुखार पीड़ित
उन्नाव। मौसम में उतार चढ़ाव बच्चों को बीमार कर रहा है। सोमवार को ओपीडी में बुखार से पीड़ित 375 बच्चे पहुंचे। पैथोलॉजी में जांच के लिए लंबी लाइन लगी रही।
बारिश के बाद संक्रामक बीमारियों व वायरल फीवर का खतरा बढ़ गया है। बच्चे और बड़े सभी इसकी चपेट में आ रहे हैं। सोमवार को पर्चा काउंटर से 870 पर्चे बने। इसमें सबसे अधिक पेट दर्द, बुखार, उल्टी व दस्त के मरीजों के थे। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित श्रीवास्तव व डॉ. बृज कुमार ने सुबह 8.30 से दोपहर दो बजे तक बुखार व उल्टी दस्त से पीड़ित 375 बच्चे देखे। फिजीशियन डॉ. कौशलेंद्र प्रकाश इमरजेंसी ड्यूटी के साथ ओपीडी भी करते रहे। सीनियर फिजीशियन डॉ. आलोक पांडेय ने 210 मरीजों को देखा। हसनगंज, अचलगंज, सफीपुर में भी ओपीडी में मरीजों की भारी भीड़ रही।
एक सप्ताह में 75 बच्चे हुए भर्ती
जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के अभिलेखों के अनुसार एक सप्ताह में बुखार व उल्टी दस्त से पीड़ित 75 बच्चों को भर्ती किया गया है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बृज कुमार ने बताया कि मौसम में बदलाव का असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। ऐसे में बच्चों को ठंडा पानी न दें। पूरी बांह के कपड़े पहनाएं। घर के आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें।

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बिछिया। क्षेत्र की एक लाख से अधिक की आबादी के लिए संचालित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पर्याप्त सुविधाएं नहीं हैं। यहां एक्सरे टेक्नीशियन की तैनाती है लेकिन मशीन न होने से बाहर से जांच लिखी जा रहीं हैं। सोमवार को ओपीडी में पहुंचे मरीजों ने यही पीड़ा बताई। पेट दर्द पीड़ितों को एक्सरे के लिए बाहर जाना पड़ा। केंद्र में मेट्रोजिल टैबलेट भी नहीं हैं।

बिछिया ब्लॉक क्षेत्र की 57 ग्राम पंचायतों में रहने वाली आबादी के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र संचालित है। यहां फिजीशियन के साथ बाल रोग विशेषज्ञ, दंतरोग विशेषज्ञ, महिला डॉक्टर शोभा द्विवेदी हैं।

जबकि प्रसूति विशेषज्ञ की तैनाती नहीं है। सोमवार को ओपीडी में मरीजों की भीड़ थी। इसमें सबसे अधिक पेट दर्द व बुखार पीड़ित थे। मेट्रोजिल दवा डॉक्टर बाहर से लिख रहे थे। बताया कि ये दवा स्टॉक में नहीं है। पेट दर्द के कई ऐसे मरीज थे जिन्हें एक्सरे कराना था। उन्हें बाहर से एक्सरे कराने के लिए कहा गया। सीएचसी प्रभारी डॉ. आरपी सचान ने बताया कि दवा के लिए डिमांड भेजी जा चुकी है। एक्सरे मशीन के लिए भी कई बार विभागीय अधिकारियों को पत्र लिखा है लेकिन अब तक प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई है।

375 बच्चे मिले बुखार पीड़ित

उन्नाव। मौसम में उतार चढ़ाव बच्चों को बीमार कर रहा है। सोमवार को ओपीडी में बुखार से पीड़ित 375 बच्चे पहुंचे। पैथोलॉजी में जांच के लिए लंबी लाइन लगी रही।

बारिश के बाद संक्रामक बीमारियों व वायरल फीवर का खतरा बढ़ गया है। बच्चे और बड़े सभी इसकी चपेट में आ रहे हैं। सोमवार को पर्चा काउंटर से 870 पर्चे बने। इसमें सबसे अधिक पेट दर्द, बुखार, उल्टी व दस्त के मरीजों के थे। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अमित श्रीवास्तव व डॉ. बृज कुमार ने सुबह 8.30 से दोपहर दो बजे तक बुखार व उल्टी दस्त से पीड़ित 375 बच्चे देखे। फिजीशियन डॉ. कौशलेंद्र प्रकाश इमरजेंसी ड्यूटी के साथ ओपीडी भी करते रहे। सीनियर फिजीशियन डॉ. आलोक पांडेय ने 210 मरीजों को देखा। हसनगंज, अचलगंज, सफीपुर में भी ओपीडी में मरीजों की भारी भीड़ रही।

एक सप्ताह में 75 बच्चे हुए भर्ती

जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के अभिलेखों के अनुसार एक सप्ताह में बुखार व उल्टी दस्त से पीड़ित 75 बच्चों को भर्ती किया गया है। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. बृज कुमार ने बताया कि मौसम में बदलाव का असर बच्चों की सेहत पर पड़ रहा है। ऐसे में बच्चों को ठंडा पानी न दें। पूरी बांह के कपड़े पहनाएं। घर के आसपास सफाई का विशेष ध्यान रखें।

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