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यमुना नदी में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने तीन जगह कैलाश घाट, वाटरवर्क्स और ताजमहल पर सैंपल भरे थे, जिनमें सबसे खराब रिपोर्ट ताजमहल के पीछे की आई है। कैलाश घाट के मुकाबले ताज पर चार गुना और वाटरवर्क्स पर पानी की गुणवत्ता के मुकाबले ठीक दो गुना ज्यादा प्रदूषण पाया गया है। वह भी तब जब सीवेज पंपिंग स्टेशन और एसटीपी संचालन के लिए वबाग को हर साल 48 करोड़ रुपये का भुगतान हो रहा है। यूपीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक घटिया स्तर के पानी में 5 हजार कॉलीफार्म होने चाहिए, पर यहां इनकी मात्रा 63 हजार है। बीओडी की मात्रा दो और तीन के मुकाबले 10.4 पाई गई जो बेहद खराब है।
शहर में 92 नाले यमुना नदी में गिर रहे हैं। जो 28 नाले टैप हैं, उनके डिस्चार्ज का एसटीपी के जरिए ट्रीटमेंट करने का दावा चेन्नई की कंपनी वीए टेक वबाग कर रही है, लेकिन एसटीपी के डिस्चार्ज से उठे झागों पर वबाग का ऑपरेशन और मेंटेनेंस सवालों के घेरे में है।
कंपनी एसटीपी संचालन के लिए 48 करोड़ रुपये सालाना ले रही है, पर यमुना नदी में प्रदूषण और एसटीपी से निकलने वाले झाग में कोई कमी नहीं आई है। विशेषज्ञों के मुताबिक एसटीपी में कॉग्यूलेशन की प्रक्रिया में लापरवाही के कारण झाग बनते हैं। इससे आंखों में जलन, त्वचा रोग और खेतों को नुकसान के साथ सब्जियों में इस पानी के इस्तेमाल से कई बीमारियां हो सकती हैं।
ताजमहल के पास धांधूपुरा स्थित 78 एमएलडी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के बाहर यह बर्फ नहीं है, बल्कि एसटीपी से निकल रहे पानी में उठ रहे झाग हैं, जिस वजह से धांधूपुरा के लोगों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं। धांधुपुरा गांव के लोग एसटीपी से निकले पानी का इस्तेमाल खेतों में कर रहे हैं। केमिकल या अन्य कारणों से उठ रहे झागों के कारण वह चिंता में है और खेती तथा स्वास्थ्य को नुकसान की आशंका के कारण एसटीपी संचालन की जांच की मांग उठा रहे हैं।
ये है रिपोर्ट
तत्व | ताजमहल | वाटरवर्क्स | कैलाशघाट |
पीएच | 7.8 | 7.4 | 7.1 |
डीओ | 6 | 6.7 | 7 |
बीओडी | 10.4 | 9.6 | 8.2 |
सीओडी | 24 | 20 | 16 |
टोटल कॉलीफार्म | 63000 | 32000 | 21000 |
फीकल कॉलीफार्म | 26000 | 14000 | 13000 |
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