UP News: शहीद के घर डाक से भेजा गया शौर्य चक्र, पिता ने लौटाया, कहा- ये बेटे की शहादत का अपमान

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वर्ष 2017 में कश्मीर में शहीद हुए आगरा की बाह तहसील के रहने वाले लांसनायक गोपाल सिंह के घर सेना ने डाक से शौर्य चक्र सम्मान भेज दिया। इससे पुराताल (केंजरा) गांव के लोग नाराज हैं। ग्रामीणों ने इसे शहादत का अपमान बताकर राष्ट्रपति के हाथों शौर्य चक्र दिए जाने की मांग की है। शहीद का परिवार वर्तमान में बापू नगर अहमदाबाद (गुजरात) में रहता है। सेना ने पांच सितंबर को अहमदाबाद के पते पर डाक से शौर्य चक्र भेजा था, जिसे शहीद के माता-पिता जयश्री-मुनीम सिंह भदौरिया ने यह कहकर लौटा दिया कि डाक से शौर्य चक्र को भेजकर बेटे की शहादत का अपमान किया गया है। 

मूलरूप से पुराताल (केंजरा) गांव निवासी मुकीम सिंह भदौरिया के बेटे लांस नायक गोपाल सिंह भदौरिया को बतौर एनएसजी कमांडो मुंबई में 26/11 के आंतकी हमले में बहादुरी के लिए विशिष्ट सेवा पदक से भी सम्मानित किया गया था। वह आतंकवादियों की गोलीबारी के बीच घायल सूबेदार मेजर को ताज होटल से बाहर लाए थे।

33 साल की उम्र में लांस नायक गोपाल सिंह ने जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में 12 फरवरी 2017 को मुठभेड़ के दौरान चार आतंकियों को ढेर कर दिया था। मुठभेड़ में लांस नायक भी शहीद हो गए थे। 2018 में वीर सपूत को शौर्य चक्र दिए जाने का निर्णय लिया गया था। 

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राष्ट्रपति के हाथों शौर्य चक्र लेने का इंतजार कर रहे माता-पिता पांच सितंबर को उस वक्त ठगे से रह गए, जब डाक से शौर्य चक्र उनके बापू नगर स्थित घर पर पहुंचा। माता-पिता ने बताया कि बेटे की शहादत पर उनको गर्व है। अहमदाबाद और केंजरा में शहीद स्मारक बनवाकर बेटे की यादों को सहेजा है। उस दिन का इंतजार है, जब राष्ट्रपति अपने हाथों से यह सम्मान प्रदान करेंगे। 

शहीद गोपाल सिंह के चचेरे भाई पवन भदौरिया, चाचा अरविंद भदौरिया, राजीव भदौरिया, संतोष भदौरिया, अनिल भदौरिया ने बताया कि केंजरा गांव में शहीद की पूजा होती है। इस अपमान से गांव और परिवार दुखी है। 

वर्ष 2011 में गोपाल सिंह भदौरिया का पत्नी हेमावती से तलाक हो गया था। घर में शौर्य चक्र के हकदार को लेकर विवाद हुआ और मामला कोर्ट तक पहुंच गया। कोर्ट ने शहीद के माता-पिता के पक्ष को स्वीकार किया और शौर्य चक्र को हेमावती को देने पर रोक लगा दी। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि मरणोपरांत शहीद का सम्मान और सुविधाएं उनके माता-पिता को दिया जाए। पांच सितंबर को यह सम्मान डाक से भेजा गया। 

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