फरार आईपीएस मणिलाल पाटीदार की तलाश में अन्य एजेंसियां ही नहीं, बल्कि जोनल एसआईटी भी दो साल तक शहर-शहर घूमती रही। दिल्ली से लेकर राजस्थान तक उसकी तलाश में दबिश दी जाती रही। पाटीदार पर दर्ज मुकदमे की विवेचना कर रही जोनल एसआईटी ने काफी हाथ-पांव मारे लेकिन नाकाम रही। बिना गिरफ्तारी के ही चार्जशीट दाखिल करनी पड़ी।
20 अक्तूबर को जोनल एसआईटी गठित कर महोबा के क्रशर प्लांट कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के मामले में दर्ज मुकदमे की विवेचना इसे सौंप दी गई थी। दो सदस्यीय जोनल एसआईटी में प्रयागराज में तैनात रहे तत्कालीन एसपी क्राइम आशुतोष मिश्र को मुख्य विवेचक जबकि आईजी रेंज केपी सिंह को पर्यवेक्षण अधिकारी बनाया गया था।
एसआईटी तलाश में लगी रही लेकिन पाटीदार का कुछ पता नहीं चला। इसके बाद उसे भगोड़ा घोषित किया गया। इससे पहले कुर्की की कार्रवाई भी की गई। लेकिन सारी कवायद का नतीजा जीरो ही रहा। लगभग दो साल तक धूल फांकने के बाद भी पाटीदार हाथ नहीं आए, जिसके बाद उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई।
परिजनों के सवाल उठाने पर लिया गया था निर्णय विवेचना जोनल एसआईटी को सौंपने का निर्णय रेंज एसआईटी पर मृतक कारोबारी के परिजनों की ओर से सवाल उठाए जाने के बाद लिया गया था। गौरतलब है कि पहले विवेचना रेंज स्तर पर गठित एसआईटी कर रही थी। इसी दौरान मृतक कारोबारी के भाई और मुकदमा वादी रविकांत त्रिपाठी ने पत्र जारी कर विवेचना में जुटी रेंज एसआईटी की मंशा पर सवाल उठाए। आरोप लगाया गया कि एसआईटी की मंशा आरोपियों को गिरफ्तार करने की नहीं है। जिससे पूरा परिवार बेहद निराश व डरा हुआ है। परिवार ने आईजी चित्रकूट रेंज से यह भी अनुरोध किया कि विवेचना अन्यत्र से कराई जाए। मामला संज्ञान में आने के बाद उच्चाधिकारियों ने परिजनों से बात की। साथ ही उनकी सहमति पर विवेचना जोनल स्तर पर एसआईटी गठित की गई थी।
‘पुलिस व बड़ा अधिकारी कभी गिरफ्तार नहीं होता’ जोनल एसआईटी गठित होने से पहले मृतक क्रशर व्यापारी के भाई व मुकदमा वादी की ओर से मीडिया को जारी पत्र में रेंज एसआईटी के विवेचक सीओ सदर महोबा कालू सिंह पर गंभीर आरोप लगाए गए थे। कहा गया था कि 17 अक्तूबर 2020 को उन्हें कबरई थाने में बेवजह बुलाया गया। आरोपियों की गिरफ्तारी के विषय में पूछने पर कहा गया कि पुलिस व बड़ा अधिकारी कभी गिरफ्तार नहीं होते। गिरफ्तारी के लिए दबिश की खबरों का हवाला देने पर कहा गया कि यह कागजी कार्रवाई है, चलती रहती है। वादी ने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत आईजी चित्रकूट रेंज से भी की।
विस्तार
फरार आईपीएस मणिलाल पाटीदार की तलाश में अन्य एजेंसियां ही नहीं, बल्कि जोनल एसआईटी भी दो साल तक शहर-शहर घूमती रही। दिल्ली से लेकर राजस्थान तक उसकी तलाश में दबिश दी जाती रही। पाटीदार पर दर्ज मुकदमे की विवेचना कर रही जोनल एसआईटी ने काफी हाथ-पांव मारे लेकिन नाकाम रही। बिना गिरफ्तारी के ही चार्जशीट दाखिल करनी पड़ी।
20 अक्तूबर को जोनल एसआईटी गठित कर महोबा के क्रशर प्लांट कारोबारी इंद्रकांत त्रिपाठी की मौत के मामले में दर्ज मुकदमे की विवेचना इसे सौंप दी गई थी। दो सदस्यीय जोनल एसआईटी में प्रयागराज में तैनात रहे तत्कालीन एसपी क्राइम आशुतोष मिश्र को मुख्य विवेचक जबकि आईजी रेंज केपी सिंह को पर्यवेक्षण अधिकारी बनाया गया था।
एसआईटी तलाश में लगी रही लेकिन पाटीदार का कुछ पता नहीं चला। इसके बाद उसे भगोड़ा घोषित किया गया। इससे पहले कुर्की की कार्रवाई भी की गई। लेकिन सारी कवायद का नतीजा जीरो ही रहा। लगभग दो साल तक धूल फांकने के बाद भी पाटीदार हाथ नहीं आए, जिसके बाद उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी गई।