यूपीपीएससी : मेंस से पहले ही छंट गए थे प्रधानाचार्य पद के 479 अभ्यर्थी

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उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी)

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– फोटो : Social media

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पीसीएस-2021 में प्रधानाचार्य के 292 में से 243 पदों पर ही चयन हुआ और 49 पद खाली रह गए। अनुभव प्रमाणपत्र न देने पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने मुख्य परीक्षा से पहले ही 479 अभ्यर्थियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था और इन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया था।

यूपीपीएससी ने पीसीएस के 678 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम पिछले साल एक दिसंबर को जारी किया था। 7688 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया था। सभी सफल अभ्यर्थियों ने आयोग ने मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन मांगे थे। ऑनलाइन आवेदन भरने के बाद उनकी हार्डकॉपी आयोग में जमा करनी थी। प्रधानाचार्य पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को आवेदन की हार्डकॉपी के साथ तीन साल का अनुभव प्रमाणपत्र भी जमा करना था।

प्रधानाचार्य पद के लिए हाईस्कूल या इससे ऊपर की कक्षाओं में न्यूनतम तीन वर्ष का अनुभव होना चाहिए। सैकड़ों अभ्यर्थियों ने अपने आवेदन पत्रों के साथ अनुभव प्रमाणपत्र संलग्न नहीं किए तो कुछ अभ्यर्थियों ने तीन वर्ष से कम अनुभव के प्रमाणपत्र लगा दिए थे। ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या 479 थी। मुख्य परीक्षा के लिए ऐसे अभ्यर्थियों के प्रवेशपत्र जारी नहीं किए गए और अभ्यर्थन निरस्त करते हुए इन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया था। प्रधानाचार्य के 49 पद रिक्त होने के पीछे यह प्रमुख वजह मानी जा रही है।

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पीसीएस-2021 में प्रधानाचार्य के 292 में से 243 पदों पर ही चयन हुआ और 49 पद खाली रह गए। अनुभव प्रमाणपत्र न देने पर उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने मुख्य परीक्षा से पहले ही 479 अभ्यर्थियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया था और इन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया था।

यूपीपीएससी ने पीसीएस के 678 पदों पर भर्ती के लिए आयोजित प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम पिछले साल एक दिसंबर को जारी किया था। 7688 अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित किया गया था। सभी सफल अभ्यर्थियों ने आयोग ने मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन मांगे थे। ऑनलाइन आवेदन भरने के बाद उनकी हार्डकॉपी आयोग में जमा करनी थी। प्रधानाचार्य पद के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों को आवेदन की हार्डकॉपी के साथ तीन साल का अनुभव प्रमाणपत्र भी जमा करना था।

प्रधानाचार्य पद के लिए हाईस्कूल या इससे ऊपर की कक्षाओं में न्यूनतम तीन वर्ष का अनुभव होना चाहिए। सैकड़ों अभ्यर्थियों ने अपने आवेदन पत्रों के साथ अनुभव प्रमाणपत्र संलग्न नहीं किए तो कुछ अभ्यर्थियों ने तीन वर्ष से कम अनुभव के प्रमाणपत्र लगा दिए थे। ऐसे अभ्यर्थियों की संख्या 479 थी। मुख्य परीक्षा के लिए ऐसे अभ्यर्थियों के प्रवेशपत्र जारी नहीं किए गए और अभ्यर्थन निरस्त करते हुए इन्हें मुख्य परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया गया था। प्रधानाचार्य के 49 पद रिक्त होने के पीछे यह प्रमुख वजह मानी जा रही है।



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