जानलेवा हमले में दुष्कर्म पीड़िता के चाचा आरोप मुक्त

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उन्नाव। पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर प्रकरण की पीड़िता के चाचा पर चल रहे जानलेवा हमले के मुकदमे में न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त पाया है। वहीं, ट्रेन डकैती के मुकदमे में न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट से दोष मुक्त होने के बाद सरकार की तरफ से अपर जिला जज न्यायालय में दाखिल की गई थी। इसे भी न्यायाधीश ने खारिज कर दिया है।
दुष्कर्म पीड़िता के चाचा के खिलाफ माखी गांव निवासी विनोद मिश्रा ने 30 अक्तूबर 2017 को जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि 21 अक्तूबर 2017 को चाचा की ओर से आपत्तिजनक पर्चे बांटे जा रहे थे। विरोध करने पर जान से मारने के इरादे से दो फायर किए पर वह बच गए। पुलिस ने चाचा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। मुकदमे की सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से केस डायरी न्यायालय में दाखिल न करने पर मामला काफी दिनों तक चर्चा में रहा।
इस मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट नंबर छह में चल रही थी। गुरुवार को सुनवाई पूरी हुई। न्यायाधीश आलोक शर्मा ने बचाव पक्ष के वकील अजय गौतम और मनीष शर्मा की दलीलें सुनीं। न्यायाधीश साक्ष्यों के अभाव और दलीलों के आधार पर पीड़िता के चाचा को दोष मुक्त किया।
वहीं, जीआरपी ने वर्ष 1999 में पीड़िता के चाचा समेत अन्य लोगों के खिलाफ ट्रेन में डकैती व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। सुनवाई निचली अदालत न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्यायालय में हुई थी और साक्ष्यों के अभाव में मजिस्ट्रेट ने आरोपी चाचा समेत सभी को पांच अक्तूबर 2019 को दोष मुक्त किया था। इसके बाद सरकार की ओर से अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट नंबर तीन में अपील की थी। गुरुवार को चाचा के वकील सरोज भारती और राजेश साहू की दलीलें और तर्कों को सुनने के बाद न्यायाधीश महेंद्र श्रीवास्तव ने निचली अदालत के फैसले को ही सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी।

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उन्नाव। पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर प्रकरण की पीड़िता के चाचा पर चल रहे जानलेवा हमले के मुकदमे में न्यायालय ने उन्हें दोषमुक्त पाया है। वहीं, ट्रेन डकैती के मुकदमे में न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट से दोष मुक्त होने के बाद सरकार की तरफ से अपर जिला जज न्यायालय में दाखिल की गई थी। इसे भी न्यायाधीश ने खारिज कर दिया है।

दुष्कर्म पीड़िता के चाचा के खिलाफ माखी गांव निवासी विनोद मिश्रा ने 30 अक्तूबर 2017 को जानलेवा हमले का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि 21 अक्तूबर 2017 को चाचा की ओर से आपत्तिजनक पर्चे बांटे जा रहे थे। विरोध करने पर जान से मारने के इरादे से दो फायर किए पर वह बच गए। पुलिस ने चाचा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। मुकदमे की सुनवाई के दौरान पुलिस की ओर से केस डायरी न्यायालय में दाखिल न करने पर मामला काफी दिनों तक चर्चा में रहा।

इस मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट नंबर छह में चल रही थी। गुरुवार को सुनवाई पूरी हुई। न्यायाधीश आलोक शर्मा ने बचाव पक्ष के वकील अजय गौतम और मनीष शर्मा की दलीलें सुनीं। न्यायाधीश साक्ष्यों के अभाव और दलीलों के आधार पर पीड़िता के चाचा को दोष मुक्त किया।

वहीं, जीआरपी ने वर्ष 1999 में पीड़िता के चाचा समेत अन्य लोगों के खिलाफ ट्रेन में डकैती व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। सुनवाई निचली अदालत न्यायिक मजिस्ट्रेट की न्यायालय में हुई थी और साक्ष्यों के अभाव में मजिस्ट्रेट ने आरोपी चाचा समेत सभी को पांच अक्तूबर 2019 को दोष मुक्त किया था। इसके बाद सरकार की ओर से अपर जिला एवं सत्र न्यायालय कोर्ट नंबर तीन में अपील की थी। गुरुवार को चाचा के वकील सरोज भारती और राजेश साहू की दलीलें और तर्कों को सुनने के बाद न्यायाधीश महेंद्र श्रीवास्तव ने निचली अदालत के फैसले को ही सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी।



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