Unnao News: उन्नावः गंगा को मैली होने से बचाने पर अमल

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सीईटीपी का फाइल फोटो। संवाद

सीईटीपी का फाइल फोटो। संवाद
– फोटो : UNNAO

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उन्नाव। एनजीटी के मानकों पर फेल होने के पांच साल बाद सीईटीपी (कॉमन इंफ्लुएंट फ्लांट) के उच्चीकरण के डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को मंजूरी मिल गई है। 107 करोड़ रुपये से होने वाले सुधार कार्यों का टेंडर भी हो गया है। जनवरी से काम शुरू हो जाएगा। सीईटीपी के उच्चीकरण के बाद गंगा को मैली होने से बचाया जा सकेगा।
वर्ष 2017 में एनजीटी ने दही चौकी और बंथर औद्योगिक क्षेत्र स्थित सीईटीपी को उच्चीकृत करने और जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) के अनुसार सुधार के निर्देश दिए थे। उच्चीकरण पर हो रहे खर्च का पच्चीस फीसदी खर्च औद्योगिक इकाइयों द्वारा दिए जाने को लेकर कई साल तक मामला लटका रहा। बाद में माघ मेला सति अन्य पर्वो को लेकर आए दिन होने वाली टेनरियों व अन्य कारखानों की बंदी से परेशान उद्यमियों ने भी सहयोग की हामी भरी।
अब सीईटीपी को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस कर भूर्गभ जल और गंगा जल को प्रदूषण रहित करने की डीपीआर को मंजूरी देते हुए सरकार ने बजट जारी किया है। सीईटीपी के संचालक मनोज कुमार ने बताया सभी प्रकार की अनुमति मिल गई है। जनवरी में काम शुरू होगा और 2024 तक काम पूरा हो जाएगा।
उधर, बंथर औद्योगिक क्षेत्र स्थित सीईटीपी के सुधार के काम के लिए जुलाई में मंजूरी मिली थी। इस पर 111 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पहले चरण में 3.50 करोड़ रुपये जारी होने के बाद सितंबर से काम शुरू हुआ है।
दोनों औद्योगिक क्षेत्र की सीईटीपी के सुधार पर कुल 2.18 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अत्याधुनिक तकनीक के उपकरण लगने से सीईटीपी से निकलने वाले पानी में क्रोमियम, फ्लोराइड, सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड), एचबीओडी और एमएस (सब स्टैंड सॉलिड) पानी से अलग हो जाएगा। इससे गंगा नदी में प्रदूषित पानी नहीं जाएगा।

यह भी पढ़ें -  कोविड कंट्रोल रूम फिर हुआ सक्रिय

उन्नाव। एनजीटी के मानकों पर फेल होने के पांच साल बाद सीईटीपी (कॉमन इंफ्लुएंट फ्लांट) के उच्चीकरण के डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) को मंजूरी मिल गई है। 107 करोड़ रुपये से होने वाले सुधार कार्यों का टेंडर भी हो गया है। जनवरी से काम शुरू हो जाएगा। सीईटीपी के उच्चीकरण के बाद गंगा को मैली होने से बचाया जा सकेगा।

वर्ष 2017 में एनजीटी ने दही चौकी और बंथर औद्योगिक क्षेत्र स्थित सीईटीपी को उच्चीकृत करने और जेडएलडी (जीरो लिक्विड डिस्चार्ज) के अनुसार सुधार के निर्देश दिए थे। उच्चीकरण पर हो रहे खर्च का पच्चीस फीसदी खर्च औद्योगिक इकाइयों द्वारा दिए जाने को लेकर कई साल तक मामला लटका रहा। बाद में माघ मेला सति अन्य पर्वो को लेकर आए दिन होने वाली टेनरियों व अन्य कारखानों की बंदी से परेशान उद्यमियों ने भी सहयोग की हामी भरी।

अब सीईटीपी को अत्याधुनिक उपकरणों से लैस कर भूर्गभ जल और गंगा जल को प्रदूषण रहित करने की डीपीआर को मंजूरी देते हुए सरकार ने बजट जारी किया है। सीईटीपी के संचालक मनोज कुमार ने बताया सभी प्रकार की अनुमति मिल गई है। जनवरी में काम शुरू होगा और 2024 तक काम पूरा हो जाएगा।

उधर, बंथर औद्योगिक क्षेत्र स्थित सीईटीपी के सुधार के काम के लिए जुलाई में मंजूरी मिली थी। इस पर 111 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। पहले चरण में 3.50 करोड़ रुपये जारी होने के बाद सितंबर से काम शुरू हुआ है।

दोनों औद्योगिक क्षेत्र की सीईटीपी के सुधार पर कुल 2.18 करोड़ रुपये खर्च होंगे। अत्याधुनिक तकनीक के उपकरण लगने से सीईटीपी से निकलने वाले पानी में क्रोमियम, फ्लोराइड, सीओडी (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड), एचबीओडी और एमएस (सब स्टैंड सॉलिड) पानी से अलग हो जाएगा। इससे गंगा नदी में प्रदूषित पानी नहीं जाएगा।



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