इलाहाबाद हाईकोर्ट : हत्या का योजनाबद्ध आशय सिद्ध न होने पर आरोपी की सजा हुई आधी

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 09 Feb 2022 01:00 AM IST

सार

याची पवनेश ने बरी होने वाले आरोपियों की सजा के लिए हाईकोर्ट में सत्र न्यायाधीश केफैसले को चुनौती थी। पवनेश का आरोप था कि आरोपियों ने योजना के तहत उसके बाबा की हत्या कर दी। जबकि याची तफा राम ने कोर्ट के समक्ष खुद को बेगुनाह बताया। कोर्ट ने पाया कि भूमि के विवाद में दोनों पक्षों में कहासुनी हुई। इसके बाद विवाद बढ़ गया।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में सामान्य आशय सिद्ध न होने पर आरोपी की सजा को कम कर दिया है। कोर्ट ने याची को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा अर्थदंड की रकम को 35 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने तफा राम और पवनेश यादव की अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते दिया है।

मामले में याचियों ने बलिया जिले के सत्र न्यायाधीश केफैसले को चुनौती थी। सत्र न्यायाधीश ने याची तफा राम को 26 फरवरी 2012 में मारपीट के दौरान बीच-बचाव करने पहुंचे बुजुर्ग तुलसी की हुई मौत का दोषी मानते हुए 10 साल का कारावास और 35 हजार रुपये की सजा सुनाई थी, जबकि मिंटू, राजेश कुमार और बसंत को आरोपों से बरी कर दिया था।

याची पवनेश ने बरी होने वाले आरोपियों की सजा के लिए हाईकोर्ट में सत्र न्यायाधीश केफैसले को चुनौती थी। पवनेश का आरोप था कि आरोपियों ने योजना के तहत उसके बाबा की हत्या कर दी। जबकि याची तफा राम ने कोर्ट के समक्ष खुद को बेगुनाह बताया। कोर्ट ने पाया कि भूमि के विवाद में दोनों पक्षों में कहासुनी हुई। इसके बाद विवाद बढ़ गया।

बुजुर्ग तुलसी अपने पौत्र पवनेश को बचाने के लिए पहुंचे तो उन्हें आरोपियों की ओर से चोट लगी। इसी में उनकी मौत हो गई लेकिन आरोपियों ने उन्हें किसी योजना के तहत उन पर हमला नहीं बोला। कोर्ट को योजनाबद्ध तरीकेसे हमले के संदर्भ में कोई सबूत भी नहीं मिला।

घटना के दौरान किसने लाठी, डंडे से हमला किया और किसने लात-घूसों से मारा, यह कहना मुश्किल है। कोर्ट ने याची तफा राम की सजा को 10 साल से घटाकर पांच साल और जुर्माने की रकम 35 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हत्या के मामले में सामान्य आशय सिद्ध न होने पर आरोपी की सजा को कम कर दिया है। कोर्ट ने याची को पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा अर्थदंड की रकम को 35 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने तफा राम और पवनेश यादव की अपीलों पर एक साथ सुनवाई करते दिया है।

मामले में याचियों ने बलिया जिले के सत्र न्यायाधीश केफैसले को चुनौती थी। सत्र न्यायाधीश ने याची तफा राम को 26 फरवरी 2012 में मारपीट के दौरान बीच-बचाव करने पहुंचे बुजुर्ग तुलसी की हुई मौत का दोषी मानते हुए 10 साल का कारावास और 35 हजार रुपये की सजा सुनाई थी, जबकि मिंटू, राजेश कुमार और बसंत को आरोपों से बरी कर दिया था।

याची पवनेश ने बरी होने वाले आरोपियों की सजा के लिए हाईकोर्ट में सत्र न्यायाधीश केफैसले को चुनौती थी। पवनेश का आरोप था कि आरोपियों ने योजना के तहत उसके बाबा की हत्या कर दी। जबकि याची तफा राम ने कोर्ट के समक्ष खुद को बेगुनाह बताया। कोर्ट ने पाया कि भूमि के विवाद में दोनों पक्षों में कहासुनी हुई। इसके बाद विवाद बढ़ गया।

बुजुर्ग तुलसी अपने पौत्र पवनेश को बचाने के लिए पहुंचे तो उन्हें आरोपियों की ओर से चोट लगी। इसी में उनकी मौत हो गई लेकिन आरोपियों ने उन्हें किसी योजना के तहत उन पर हमला नहीं बोला। कोर्ट को योजनाबद्ध तरीकेसे हमले के संदर्भ में कोई सबूत भी नहीं मिला।

घटना के दौरान किसने लाठी, डंडे से हमला किया और किसने लात-घूसों से मारा, यह कहना मुश्किल है। कोर्ट ने याची तफा राम की सजा को 10 साल से घटाकर पांच साल और जुर्माने की रकम 35 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दी।

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