पद्म विभूषण इलैयाराजा की प्रस्तुति: शिवोहम-शिवोहम….से सजा श्री काशी विश्वनाथ का धाम, मंत्रमुग्ध हुए श्रोता

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काशी विश्वनाथ धाम में देर शाम प्रस्तुति देने पहुंचे पद्म विभूषण इलैयराजा

काशी विश्वनाथ धाम में देर शाम प्रस्तुति देने पहुंचे पद्म विभूषण इलैयराजा
– फोटो : अमर उजाला

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राज्यसभा सांसद और पद्म विभूषण इलैयाराजा ने कहा कि तीनों लोकों से न्यारी काशी, मां गंगा और बाबा विश्वनाथ का दरबार के एक साथ दर्शन सौभाग्य से कम नहीं है। दुनिया भर में ढेर सारे कार्यक्रम किए हैं और कई पुरस्कार भी मिले, लेकिन श्री काशी विश्वनाथ के धाम में बाबा के सामने अपने गीत-संगीत की प्रस्तुति देना किसी पूर्वजन्म का फल है जो आज फलित हो गया। इससे बढ़कर अब जीवन में कुछ भी नहीं है।

गुरुवार देर शाम श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रस्तुति देने पहुंचे पद्म विभूषण इलैयराजा ने अपने सुप्रसिद्ध भजन जननी-जननी से शुरुआत की। इसके बाद भो शंभू…, शिवोहम-शिवोहम…., के बाद हर-हर महादेव….की प्रस्तुतियों ने हर किसी के मन को झंकृत कर दिया।

शिव के भक्ति रस की अविरल गंगा जब संगीत के सुरों में ढलकर बहने लगी तो दो घंटे का समय पल में बीत गया और दर्शकों को लगा कि अभी बहुत कुछ सुनना बाकी है। मंदिर चौक से लेकर बाबा के गर्भगृह तक सात सुरों की झंकार ने श्रद्धालुओं के साथ ही पुजारी, सेवादार और श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।

इस दौरान तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि, मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी एस राजलिंगम, मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुनील कुमार मौजूद रहे। संयोजन व संचालन वेंकटरमण घनपाठी ने किया। 

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राज्यसभा सांसद और पद्म विभूषण इलैयाराजा ने कहा कि तीनों लोकों से न्यारी काशी, मां गंगा और बाबा विश्वनाथ का दरबार के एक साथ दर्शन सौभाग्य से कम नहीं है। दुनिया भर में ढेर सारे कार्यक्रम किए हैं और कई पुरस्कार भी मिले, लेकिन श्री काशी विश्वनाथ के धाम में बाबा के सामने अपने गीत-संगीत की प्रस्तुति देना किसी पूर्वजन्म का फल है जो आज फलित हो गया। इससे बढ़कर अब जीवन में कुछ भी नहीं है।

गुरुवार देर शाम श्री काशी विश्वनाथ धाम में प्रस्तुति देने पहुंचे पद्म विभूषण इलैयराजा ने अपने सुप्रसिद्ध भजन जननी-जननी से शुरुआत की। इसके बाद भो शंभू…, शिवोहम-शिवोहम…., के बाद हर-हर महादेव….की प्रस्तुतियों ने हर किसी के मन को झंकृत कर दिया।

शिव के भक्ति रस की अविरल गंगा जब संगीत के सुरों में ढलकर बहने लगी तो दो घंटे का समय पल में बीत गया और दर्शकों को लगा कि अभी बहुत कुछ सुनना बाकी है। मंदिर चौक से लेकर बाबा के गर्भगृह तक सात सुरों की झंकार ने श्रद्धालुओं के साथ ही पुजारी, सेवादार और श्रद्धालुओं को भावविभोर कर दिया।



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