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– फोटो : amar ujala
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गठिया, पेट और खून की बीमारियां बढ़ने का असर टॉपर्स के ब्रांच के चयन में भी देखने को मिल रहा है। मेधावी अब दिल के बजाय गठिया, पेट और खून संबंधी बीमारियों का सुपर स्पेशियलिस्ट बनने की ओर रुख कर रहे हैं। हाल ही में हुए दाखिलों में यह बड़ा बदलाव देखने को मिला है। केजीएमयू में प्रवेश लेने वाले टॉप-12 विद्यार्थियों ने इन्हीं तीन ब्रांच का चयन किया है।
देशभर के चिकित्सा संस्थानों में एमबीबीएस, पीजी के साथ सुपर स्पेशियलिस्ट (डीएम-एमसीएच) पाठ्यक्रमों के दाखिले नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (नीट) के माध्यम से लिए जाते हैं। इसकी मेरिट और अभ्यर्थियों के विकल्प के हिसाब से ब्रांच आवंटित की जाती है। ऐसे में अच्छी रैंक वाले अभ्यर्थियों को उनका पहला विकल्प और बाद वाले अभ्यर्थियों को बची सीट से समझौता करना पड़ता है।
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पिछले कई सालों से कार्डियोलॉजी सुपर स्पेशियलिस्ट कोर्स मेधावियों की पहली पसंद थी। अब इसमें काफी बदलाव आ गया है। केजीएमयू में इस साल सुपर स्पेशियलिटी में दाखिला लेने वाला शीर्ष विद्यार्थी नीट की राष्ट्रीय स्तर की मेरिट में 124वें स्थान पर है। इसने क्लीनिकल इम्युनोलॉजी एंड रुमेटोलॉजी में प्रवेश लिया है। 127वीं रैंक के दूसरे टॉपर ने मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी को चुना है। इसके बाद अगले आठ स्थानों पर आने वालों में से चार ने क्लीनिकल इम्युनोलॉजी एंड रुमेटोलॉजी और बाकी ने मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी का विकल्प चुना है। इसके बाद अगले दो स्थान के अभ्यर्थियों ने क्लीनिकल हिमेटोलॉजी में दाखिला लिया है।
न्यूरोलॉजी, कॉर्डियोलॉजी के बाद क्रिटिकल केयर का नंबर
क्लीनिकल इम्युनोलॉजी एंड रुमेटोलॉजी, मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी और क्लीनिकल हिमेटोलॉजी में दाखिला न मिलने पर मेडिकल के टॉपर न्यूरोलॉजी, कॉर्डियोलॉजी और क्रिटिकल केयर की ओर जा रहे हैं। शीर्ष 12 के बाद अगले 30 विद्यार्थियों ने इन्हीं तीन ब्रांच में से किसी एक का चयन किया है। सर्जरी के क्षेत्र में भी गैस्टो सर्जरी टॉप पर है। केजीएमयू में एमसीएच में दाखिला लेने वाले टॉपर इसी विभाग के हैं। पीडियाट्रिक क्षेत्र में पीडियाट्रिक ऑर्थो, साइकिएट्री में जीरियाट्रिक मेंटल हेल्थ भी टॉपर्स की पसंद है।
डिमांड अनुसार ब्रांच चुनते हैं छात्र
केजीएमयू शिक्षक संघ के महासचिव प्रो. संतोष कुमार इस बदलाव पर कहते हैं, स्टूडेंट पसंद और डिमांड के आधार पर सुपर स्पेशियलिस्ट ब्रांच का चयन करते हैं। हाल के दिनों में क्लीनिकल इम्युनोलॉजी एंड रुमेटोलॉजी, मेडिकल गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी और क्लीनिकल हिमेटोलॉजी में ज्यादा अवसर देखे गए हैं। इस फील्ड के विशेषज्ञों की संख्या भी कम है। संभवत: इसी वजह से टॉपर्स इन फील्ड की ओर बढ़ रहे हैं।
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