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FIR
– फोटो : सोशल मीडिया
विस्तार
बिजली निगम में 4 लोगों की कूटरचित नियुक्ति होने के बाद सेवा समाप्त कर दी थी। सभी पर मुकदमा दर्ज किया गया। एमडी ऑफिस से कूटरचित नियुक्ति वक्त तैनाती बाबू की डिटेल मांगी गई थी। मुख्य अभियंता कार्यालय से रिपोर्ट भेज दी गई। इसमें बताया गया है कि जांच दल की तरफ से मांगी गई सूचना के अनुसार, चारों कर्मियों की कूटरचित नियुक्ति के वक्त एस के गुप्ता वरिष्ठ कार्यकारी सहायक की भूमिका में थे। जांच समिति के मुख्य अभियंता को जांच रिपोर्ट भेज दी गई है।
दरअसल, कूटरचित नियुक्ति आदेश के बूते बिजली निगम में चार लोगों की नियुक्ति की गई थी। इसमें पड़रौना खंड में राधेश्याम के साथ अन्य तीन साथी श्रमिकों माधुरी श्रीवास्तव, सुधीर सिंह व योगेंद्र यादव की नियुक्ति की गई थी। इन श्रमिकों के कूटरचित नियुक्ति आदेश की पुष्टी दो एक्सईएन व एक लेखाकार की जांच टीम ने की थी।
रिपोर्ट में कहा कि इन सभी ने नियुक्ति आदेश के दस्तावेज में कूटरचना कर श्रमिक पद पर कार्यभार ग्रहण किया। कूटरचित दस्तावेजों के माध्यम से नौकरी देने पर सीई कार्यालय भी संदेह के दायरे में है। क्योंकि सीई दफ्तर ने दर्जनों बार कूटरचित नियुक्त आदेश पर रिमाइनडर भेज कर कार्मिकों की नियुक्त करने को कहा है।
पूरे मामले में तत्कालीन मुख्य अभियंता एके सिंह के निर्देश पर मुकदमा दर्ज करने की कार्रवाई की गई। इसकी जांच के लिए एक टीम का गठन भी एमडी, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने किया था। इसी टीम के जांच अधिकारी लगभग चार माह बाद फिर से मामले की जांच तेज की है।
इसी संबंध में तत्कालीन समय की पत्रावलियों की जिम्मेदारी संभालने वाले कर्मचारी की जानकारी मांगी गई थी। मुख्य अभियंता आशु कालिया ने बताया कि कूटरचित नियुक्ति मामले में जांच अधिकारी ने जो सूचना मांगी थी, उसे जांच परख कर भेज दी गई है।
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