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Prayagraj News : आरबी लाल, कुलपति शुआटस।
– फोटो : अमर उजाला।
विस्तार
69 शिक्षकों की नियुक्ति में अनियमितता और करोड़ों के सरकारी अनुदान के दुरुपयोग के आरोपों से घिरे शुआट्स की मान्यता के दावे भी सवालों के घेरे में हैं। आरोप है कि संस्थान की नेशनल एसेसमेंट एंड एक्रेडिएशन काउंसिल (नैक) मान्यता चार साल पहले ही खत्म हो चुकी है। इसके साथ ही इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) मान्यता के संबंध में भी आवेदन लगभग एक साल से लंबित है। ऐसे में संस्थान में चल रहे पाठ्यक्रमों की गुणवत्ता को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।
आईसीएआर कृषि विश्वविद्यालयों, कॉलेजों व कार्यक्रमों को अपनी मान्यता इकाई नेशनल एग्रीकल्चरल एजुकेशन एक्रेडिएशन बोर्ड के जरिये प्रदान करता है। यह मान्यता संबंधित संस्थान मेंं गुणवत्ता का आश्वासन माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि आईसीएआर से मान्यता प्राप्त संस्थान की डिग्री भारत के साथ ही विदेशों में भी वैद्य मानी जाती है। इसी तरह नैक की मान्यता विवि और कॉलेजों के मूल्यांकन से संबंधित होती है। सूत्रों का कहना है कि शुआट्स की नैक मान्यता 2018 में ही समाप्त हो चुकी है।
इसी तरह आईसीएआर मान्यता भी मार्च 2021 में ही समाप्त हो चुकी है। इस मान्यता को दोबारा पाने के क्रम में संस्थान को एक वर्ष के ग्रेस पीरियड का भी समय मिलता है। लेकिन मार्च 2022 में यह अवधि भी खत्म हो चुकी है। मान्यता खत्म होने के बाद शुआट्स की ओर से मई 2022 में आईसीएआर में आवेदन दिया गया, लेकिन यह अभी लंबित है।
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