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रूस-यूक्रेन युद्ध
– फोटो : अमर उजाला
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यूक्रेन-रूस युद्ध को शुरू हुए एक साल पूरे होने के बाद भी भारत लौटे मेडिकल स्टूडेंट्स को डॉक्टर बनने के सपने धूमिल होते नजर आ रहे हैं। एक साल से इन बच्चों की पढ़ाई ऑनलाइन के नाम पर अस्तव्यस्त चल रही है। अलीगढ़ के भी मेडिकल छात्र और छात्रा यूक्रेन से भारत लौटे थे, इन्हें भी अपना भविष्य अंधकार में नजर आ रहा है।
यूक्रेन से लौटी मेडिकल स्टूडेंट के पिता पंकज धीरज ने युद्ध के एक साल पर अपनी पीड़ा व्यक्त की। अभिभावक पंकज धीरज ने बताया कि ऑपरेशन गंगा द्वारा स्वदेश वापस लाये गए मेडिकल स्टूडेंट्स को अपना सब कुछ यूक्रेन के हॉस्टल, फ्लेट आदि में छोड़ना पड़ गया, क्योंकि सैंकड़ों किलोमीटर के बोर्डरों तक के सफ़र व जान बचाकर लौटने के संकट ने उन्हें ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था। यहां तक कि महंगी-महंगी मेडिकल की किताबें भी वहीं छोड़नी पड़ गयीं।
उन्होंने कहा कि युद्ध के संकट में जान बचा कर भारत सरकार द्वारा सुरक्षित स्वदेश वापस लाये गये बच्चों का स्वदेश में भविष्य अंधकार मे नज़र आ रहा है। जिसके चलते सैंकड़ों ऐसे मेडिकल विद्यार्थी हैं, जो अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ चुके हैं। उन्हें उम्मीद थी कि ऑपरेशन गंगा की तरह भारत सरकार ‘ मिशन सरस्वती ‘ चला कर भारत के इन भावी डॉक्टरों को अवसाद से निकाल कर, युद्ध के हालातों की वजह से ‘ वन टाइम एडजस्टमेंट ‘ कर देश मे ही ‘राइट टू एजुकेशन ‘ का लाभ दे, आगामी शिक्षा भारत के ही मेडिकल कॉलेजों में ही दिलवाती।
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