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25 जनवरी 2005 को राजू पाल की सुलेम सराय क्षेत्र में स्वचालित हथियारों से हत्या कर दी गई थी। शूटआउट में राजू के साथ संदीप यादव और देवी लाल भी मारे गए थे। राजू के गनर समेत कई लोग घायल हुए थे। इस मामले में राजू की पत्नी पूजा पाल ने तत्कालीन सांसद अतीक अहमद, अशरफ, फरहान, आबिद, रंजीत पाल और गुफरान समेत नौ लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसी मुकदमे के मुख्य गवाह राजू पाल के बाल सखा और रिश्तेदार उमेश पाल बने थे।
इसी के साथ ही अतीक गिरोह और उमेश पाल के बीच दुश्मनी शुरू हो गई, लेकिन उमेश डरे नहीं। वे लोअर कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अतीक गिरोह से लड़ते रहे। यहां तक कि जब सीबीआई जांच शुरू हुई, तो भी उमेश ही मुख्य गवाह बने थे। इस बीच अतीक गिरोह लगातार उमेश का टार्चर करता रहा। कभी उनका अपहरण किया गया, तो कभी कचहरी में पकड़कर धमकाया गया। कभी रंगदारी मांगी गई तो कभी हत्याकांड में जबरन नामजद करा दिया गया।
11 जुलाई 2016 : उमेश पाल अपहरण के मामले में गवाही देने कचहरी पहुंचे थे, यहीं कचहरी कैंपस में ही उन पर हमला कर दिया गया। उन पर गोलियां चलाईं गईं। संयोग से वह बच गए थे। उमेश ने अतीक, अशरफ, हमजा समेत गिरोह के अन्य शातिरों के खिलाफ हमले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस हमले के बाद भी उमेश नहीं झुके।
फरवरी 2022 : उमेश वकालत करने के साथ साथ प्रापर्टी डीलिंग का भी काम करते थे। फरवरी 2022 में वह धूमनगंज में अपनी साइट पर थे। उसी समय अतीक गिरोह के कई गुर्गे असलहे लेकर पहुंच गए। उन्होंने उमेश को धमकाया कि अतीक ने एक करोड़ मांगे हैं। अगर नहीं रुपये नहीं दिए तो जान से मरवा दिया जाएगा। अगर प्रापर्टी डीलिंग करनी है तो एक करोड़ देने पड़ेंगे। हालांकि घटना फरवरी की है, लेकिन पुलिस ने इसे अगस्त महीने में दर्ज किया था।
बार-बार जताया था जान का खतरा
जिले और राजधानी का शायद ही कोई अफसर हो, जिससे उमेश पाल ने अपनी जान पर खतरे का अंदेशा न जताया हो। सबको उन्होंने जान के खतरे की चिट्ठी दे रखी थी। शासन के निर्देश पर उन्हें हथियारों के साथ दो सिपाही सुरक्षा में मिले थे, लेकिन वे भी उमेश की जान नहीं बचा सके।
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