[ad_1]
ख़बर सुनें
उन्नाव। गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने की योजना फाइलों में ही दम तोड़ गई है। तीन साल पहले शासन को भेजे गए गंगाजल को साफ करने के 6.30 करोड़ के प्रस्ताव को आज तक मंजूरी नहीं मिल सकी है। इस कारण गंगा में बेरोकटोक गंदा पानी जा रहा है।
वर्ष 2014 में पहली बार केंद्र में सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने का संकल्प लिया था। इसके लिए नमामि गंगे योजना शुरू की गई थी। योजना के तहत गंगा में गिरने वाले नालों को रोकना था। गंगा किनारे बसे गांवों पर फोकस किया गया था। गंगा किनारे 34 ग्राम पंचायतें बसी हुई हैं। कटरी क्षेत्र के इन गांवों के गंदे पानी व ठोस अपशिष्ट के निस्तारण की व्यवस्था की कवायद शुरू की गई थी। इसमें घरों से निकलने वाले गंदे पानी के लिए घरेलू व सामुदायिक सोख्ता टैंक बनाने की योजना थी। जगह उपलब्ध होने पर घर के बाहर टैंक खोदे जाने थे। जगह नहीं मिलने पर सामुदायिक सोख्ता टैंकों की व्यवस्था की जानी थी।
योजना के तहत घरों का गंदा पानी सीधे टैंकों में पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। घर के निकलने वाले ठोस अपशिष्ट (सब्जी व अन्य घरेलू सामान) के लिए वर्मी कंपोस्ट (खाद) गड्ढे खोदे जाने थे। फरवरी 2019 में पंचायतीराज विभाग ने गंगा किनारे के सभी 34 ग्राम पंचायतों की डीपीआर तैयार की थी। रिपोर्ट में 6.30 करोड़ खर्च होने का प्रस्ताव तैयार करके मुख्यालय भेजा गया था। इस प्रस्ताव में गड्ढों की साफ-सफाई कराने में खर्च होने वाली राशि को भी जोड़ा गया था। तीन साल का समय हो गया है लेकिन अभी तक प्रस्ताव मंजूर नहीं हो पाया है।
प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं मिल सकी है। इस कारण गंगा किनारे गांवों में सोख्ता टैंक व वर्मी कंपोस्ट के गड्ढे खोदे जाने की योजना पर अमल नहीं हो सका। अब शासन से मिलने वाली गाइडलाइन के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
-निरीश चंद्र साहू, जिला पंचायतराज अधिकारी
उन्नाव। गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने की योजना फाइलों में ही दम तोड़ गई है। तीन साल पहले शासन को भेजे गए गंगाजल को साफ करने के 6.30 करोड़ के प्रस्ताव को आज तक मंजूरी नहीं मिल सकी है। इस कारण गंगा में बेरोकटोक गंदा पानी जा रहा है।
वर्ष 2014 में पहली बार केंद्र में सरकार बनाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगा को स्वच्छ व निर्मल बनाने का संकल्प लिया था। इसके लिए नमामि गंगे योजना शुरू की गई थी। योजना के तहत गंगा में गिरने वाले नालों को रोकना था। गंगा किनारे बसे गांवों पर फोकस किया गया था। गंगा किनारे 34 ग्राम पंचायतें बसी हुई हैं। कटरी क्षेत्र के इन गांवों के गंदे पानी व ठोस अपशिष्ट के निस्तारण की व्यवस्था की कवायद शुरू की गई थी। इसमें घरों से निकलने वाले गंदे पानी के लिए घरेलू व सामुदायिक सोख्ता टैंक बनाने की योजना थी। जगह उपलब्ध होने पर घर के बाहर टैंक खोदे जाने थे। जगह नहीं मिलने पर सामुदायिक सोख्ता टैंकों की व्यवस्था की जानी थी।
योजना के तहत घरों का गंदा पानी सीधे टैंकों में पहुंचाने की व्यवस्था की गई थी। घर के निकलने वाले ठोस अपशिष्ट (सब्जी व अन्य घरेलू सामान) के लिए वर्मी कंपोस्ट (खाद) गड्ढे खोदे जाने थे। फरवरी 2019 में पंचायतीराज विभाग ने गंगा किनारे के सभी 34 ग्राम पंचायतों की डीपीआर तैयार की थी। रिपोर्ट में 6.30 करोड़ खर्च होने का प्रस्ताव तैयार करके मुख्यालय भेजा गया था। इस प्रस्ताव में गड्ढों की साफ-सफाई कराने में खर्च होने वाली राशि को भी जोड़ा गया था। तीन साल का समय हो गया है लेकिन अभी तक प्रस्ताव मंजूर नहीं हो पाया है।
प्रस्ताव को अभी तक मंजूरी नहीं मिल सकी है। इस कारण गंगा किनारे गांवों में सोख्ता टैंक व वर्मी कंपोस्ट के गड्ढे खोदे जाने की योजना पर अमल नहीं हो सका। अब शासन से मिलने वाली गाइडलाइन के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
-निरीश चंद्र साहू, जिला पंचायतराज अधिकारी
[ad_2]
Source link