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ज्योत्यवेंद्र दुबे, अमर उजाला मैनपुरी
Published by: मुकेश कुमार
Updated Thu, 17 Feb 2022 08:15 PM IST
सार
करहल के सियासत कुरुक्षेत्र में इस बार मुकाबला कड़ा है। एक ओर सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के बेटे हैं और दूसरी तरफ उनके राजनीतिक शिष्य एसपी सिंह बघेल हैं।
करहल के सियासी कुरुक्षेत्र में एक ओर संपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पुत्र हैं तो दूसरी ओर उनके राजनीतिक शिष्य हैं। एसपी सिंह बघेल का कहना है कि सियासी कुरुक्षेत्र में राजनीति गुरु मुलायम सिंह चाहते हैं कि जीत अर्जुन यानी उनके शिष्य एसपी सिंह की ही हो। उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य की ये परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है।
मुलायम सिंह गुरुवार को अखिलेश यादव के लिए करहल क्षेत्र में वोट मांगने आए थे। यहां महज डेढ़ किलोमीटर दूर एसपी सिंह बघेल के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने भी वोट मांगे। यहां जनता से एसपी सिंह बघेल जब रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है। धर्म के युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और भीष्म पितामह कौरवों की ओर से लड़ रहे थे। लेकिन वे सभी चाहते थे जीत उनके शिष्य अर्जुन की ही हो।
ठीक ऐसे ही सियासत के इस कुरुक्षेत्र में भी उनके राजनीतिक गुरु मुलायम सिंह यादव बेटे अखिलेश की ओर से लड़ रहे हैं। लेकिन वह भी चाहते हैं कि जीत उनके राजनीतिक शिष्य अर्जुन यानी एसपी सिंह की हो। एसपी सिंह ने कहा कि मेरे राजनीतिक गुरु की शुभकामनाएं मेरे साथ हैं। उन्होंने मुलायम सिंह की हालत पर भी अफसोस जताया।
एसपी सिंह के राजनीति गुरु कैसे बने मुलायम सिंह
मुलायम सिंह यादव कैसे एसपी सिंह के राजनीतिक गुरु बने हर किसी के मन में ये सवाल उठता है। दरअसल बात तीन दशक से भी अधिक पुरानी है। वर्ष 1989 में मुलायम सिंह यादव पहली बार उप्र के मुख्यमंत्री बने। तब उनकी सुरक्षा में एसपी सिंह बघेल बतौर उप निरीक्षक तैनात थे। यहीं से उन्हें राजनीति में आने की प्रेरणा मिली।
बाद में जब एसपी सिंह बघेल राजनीति में आए तो मुलायम सिंह यादव ने ही उन्हें जलेसर से लोकसभा का टिकट दिया, जिस पर 1998 में पहली बार जीतकर वे संसद पहुंचे। इसके बाद 1999 और 2004 में भी सपा के टिकट पर ही लोकसभा पहुंचे। लेकिन बाद में उन्हें किन्हीं कारणों के चलते सपा से निलंबित कर दिया गया था।
‘पहले भी ढहाए हैं सपा के गढ़’
करहल को सपा का गढ़ माना जाता है, इस बात पर एसपी सिंह बघेल ने कहा कि आजादी के बाद किसी कोश भी कोई गढ़ कहने का अधिकार नहीं है। लेकिन अगर सपा करहल को अपना गढ़ मानती है तो पहले भी हमने गढ़ ढहाए हैं।
उन्होंने कहा कि चाहे फिरोजाबाद का गढ़ हो, बदायूं का या फिर कन्नौज का सभी को सपा अपना गढ़ कहती थी। लेकिन वोट की चोट से सभी गढ़ धराशाई हो गए। इस पर करहल का गढ़ भी ध्वस्त होगा। उन्होंने कहा कि इतिहास में 2022 का विधानसभा चुनाव सैफई के गढ़ को ध्वस्त करने के लिए याद किया जाएगा।
विस्तार
करहल के सियासी कुरुक्षेत्र में एक ओर संपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के पुत्र हैं तो दूसरी ओर उनके राजनीतिक शिष्य हैं। एसपी सिंह बघेल का कहना है कि सियासी कुरुक्षेत्र में राजनीति गुरु मुलायम सिंह चाहते हैं कि जीत अर्जुन यानी उनके शिष्य एसपी सिंह की ही हो। उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य की ये परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है।
मुलायम सिंह गुरुवार को अखिलेश यादव के लिए करहल क्षेत्र में वोट मांगने आए थे। यहां महज डेढ़ किलोमीटर दूर एसपी सिंह बघेल के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने भी वोट मांगे। यहां जनता से एसपी सिंह बघेल जब रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि गुरु और शिष्य की परंपरा महाभारत काल से चली आ रही है। धर्म के युद्ध में गुरु द्रोणाचार्य, कृपाचार्य और भीष्म पितामह कौरवों की ओर से लड़ रहे थे। लेकिन वे सभी चाहते थे जीत उनके शिष्य अर्जुन की ही हो।
ठीक ऐसे ही सियासत के इस कुरुक्षेत्र में भी उनके राजनीतिक गुरु मुलायम सिंह यादव बेटे अखिलेश की ओर से लड़ रहे हैं। लेकिन वह भी चाहते हैं कि जीत उनके राजनीतिक शिष्य अर्जुन यानी एसपी सिंह की हो। एसपी सिंह ने कहा कि मेरे राजनीतिक गुरु की शुभकामनाएं मेरे साथ हैं। उन्होंने मुलायम सिंह की हालत पर भी अफसोस जताया।
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