Agra : आखिर जिंदगी की जंग हार गई मूक-बधिर गुंजन, आवारा कुत्तों ने 10 मिनट नोंचा था, चीख भी नहीं पाई थी मासूम

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आगरा में आवारा कुत्तों के हमले में घायल हुई 10 साल की मासूम गुंजन शरीर पर 26 घाव का दर्द सह नहीं सकी और जूझते हुए आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई। मंगलवार रात मूक बधिर बच्ची गुंजन ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बच्ची की मौत पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया, लेकिन चिकित्सकों के समझाने पर देर रात वह शव घर ले गए। गुंजन पर आवारा कुत्तों ने हमला किया था, जिससे उसके घाव पर 50 से ज्यादा टांके लगाए गए थे।

सिकंदरा क्षेत्र की रहने वाली मूक बधिर बच्ची गुंजन को सोमवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पांच घंटों तक चिकित्सकों ने 50 से ज्यादा टांके लगाए। मंगलवार को गुंजन शरीर पर 26 घावों से बेहद दर्द में रही। मूक बधिर होने के कारण वह अपना दर्द बयां नहीं कर पाई। रात 9.10 बजे उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि गलत इंजेक्शन लगाने से गुंजन की मौत हुई है। इसे लेकर परिजनों ने देर रात जिला अस्पताल पर हंगामा किया।

ऑक्सीजन सपोर्ट पर थी मासूम 

जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक अग्रवाल ने बताया कि गुंजन ऑक्सीजन सपोर्ट पर थी। 26 घाव के कारण शरीर में सेप्टिक फैल गया था। इस वजह से उसकी मृत्यु हुई। इंजेक्शन से उसकी मौत नहीं हुई। परिजनों ने लिखित दिया है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं है। पोस्टमार्टम कराने से परिवार ने इंकार कर दिया। रात में ही उसके परिजन शव को घर ले गए।

गुंजन के ताऊ रामबाबू ने बताया कि उनके किसी रिश्तेदार ने पुलिस को फोन कर दिया था और गलत इंजेक्शन का आरोप लगाया था। चिकित्सकों के समझाने पर हमने पोस्टमार्टम से इनकार कर दिया है। 

चिकित्सकों के पैनल को लगेगा एआरवी

प्रमुख अधीक्षक डॉ. सीपी सिंह ने बताया कि आशंका है कि बच्ची के इलाज के दौरान रैबीज न फैल गया हो, इसलिए गुंजन के इलाज में लगे डॉक्टरों के पैनल और सपोर्ट स्टाफ को एहतियात के तौर पर एआरवी लगाया जाएगा। गुंजन के इलाज में आठ डाक्टरों और 6 से 8 चिकित्सकीय स्टाफ ने सहयोग दिया था। 

रकाबगंज के थानाध्यक्ष राकेश कुमार ने बताया कि हंगामे की सूचना पर पुलिस पहुंची थी। परिजन लापरवाही का आरोप लगा रहे थे। चिकित्सकों के समझाने पर वह मान गए। उन्होंने कोई तहरीर नहीं दी। सिकंदरा पुलिस को भी बुला लिया गया।

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गुंजन को लगे थे जख्म, लहूलुहान हुई मौसी

दहतोरा के गगोई गांव निवासी धर्म सिंह की 10 साल की बेटी गुंजन को उसकी मौसी गुड़िया ने पाला था। उसके  दम तोड़ते ही गुड़िया बदहवास सी हो गई। एक साल की उम्र में मां के निधन के बाद से ही गुड़िया ने गुंजन को पाला था। मूक बधिर होने के कारण केवल वही उसके एहसास समझ सकती थी। बिलखती हुई गुड़िया मंगलवार को पूरे दिन मासूम बिटिया के पास बैठी रही। सिरहाने से हिली नहीं, पर यह साथ मंगलवार रात तक ही रह पाया। 

विस्तार

आगरा में आवारा कुत्तों के हमले में घायल हुई 10 साल की मासूम गुंजन शरीर पर 26 घाव का दर्द सह नहीं सकी और जूझते हुए आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई। मंगलवार रात मूक बधिर बच्ची गुंजन ने जिला अस्पताल में इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। बच्ची की मौत पर परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया, लेकिन चिकित्सकों के समझाने पर देर रात वह शव घर ले गए। गुंजन पर आवारा कुत्तों ने हमला किया था, जिससे उसके घाव पर 50 से ज्यादा टांके लगाए गए थे।

सिकंदरा क्षेत्र की रहने वाली मूक बधिर बच्ची गुंजन को सोमवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पांच घंटों तक चिकित्सकों ने 50 से ज्यादा टांके लगाए। मंगलवार को गुंजन शरीर पर 26 घावों से बेहद दर्द में रही। मूक बधिर होने के कारण वह अपना दर्द बयां नहीं कर पाई। रात 9.10 बजे उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि गलत इंजेक्शन लगाने से गुंजन की मौत हुई है। इसे लेकर परिजनों ने देर रात जिला अस्पताल पर हंगामा किया।

ऑक्सीजन सपोर्ट पर थी मासूम 

जिला अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक अग्रवाल ने बताया कि गुंजन ऑक्सीजन सपोर्ट पर थी। 26 घाव के कारण शरीर में सेप्टिक फैल गया था। इस वजह से उसकी मृत्यु हुई। इंजेक्शन से उसकी मौत नहीं हुई। परिजनों ने लिखित दिया है कि उन्हें कोई शिकायत नहीं है। पोस्टमार्टम कराने से परिवार ने इंकार कर दिया। रात में ही उसके परिजन शव को घर ले गए।

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