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आगरा विकास प्राधिकरण
– फोटो : अमर उजाला
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ताजनगरी आगरा में शहर के 70 बिल्डरों ने नक्शा पास कराते समय लगने वाला वाह्य विकास शुल्क आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) में जमा ही नहीं कराया। फ्लैट और संपत्ति बेचते समय लोगों से रकम वसूलकर खुद डकार गए। करीब 50 करोड़ रुपये बकाया होने पर एडीए ने इन्हें काली सूची में डालने के लिए नोटिस भेजा है।
बताते चलें कि यह आंकड़ा प्रारंभिक जांच से बनी सूची का है। ऐसे बिल्डरों की संख्या 150 से अधिक हो सकती है। किस पर कितना बकाया है, इसका ब्योरा जुटाया जा रहा है। सभी बिल्डर काली सूची में डालकर डिबार घोषित किए जाएंगे। भविष्य में एडीए से कोई योजना स्वीकृत नहीं करा सकेंगे।
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आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) से ग्रुप हाउसिंग का नक्शा पास कराने के बाद 2500 रुपये वर्ग मीटर के हिसाब से वाह्य विकास शुल्क लेता है। एडीए आवासीय कॉलोनियां विकसित करने वाले बिल्डरों का रिकॉर्ड खंगाल रहा है। प्रारंभिक जांच में 70 ऐसे बिल्डर मिले हैं, जिन्होंने प्रोजेक्ट का मानचित्र एडीए से स्वीकृत कराया।
स्वीकृति के समय आंशिक शुल्क जमा किया लेकिन वाह्य विकास शुल्क जमा नहीं किया। एडीए वाह्य विकास शुल्क के बदले ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट में सड़क, नाली, पेयजल व अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित करता है। सीवेज व अन्य ट्रीटमेंट प्लांट बिल्डर को खुद लगाने पड़ते हैं।
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एडीए उपाध्यक्ष चर्चित गौड़ ने बताया कि पहले चरण में 70 बिल्डर चिह्नित किए हैं। इनकी संख्या 150 से अधिक हो सकती है। चेतावनी नोटिस जारी किए हैं। वाह्य विकास शुल्क की बकाया राशि नहीं चुकाने पर इन्हें ब्लैक लिस्ट और डिबार किया जाएगा। भविष्य में एडीए से कोई योजना व मानचित्र स्वीकृत नहीं करा सकेंगे।
प्रोजेक्ट का होगा सत्यापन
ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट का एडीए सत्यापन करेगा। टीम प्रोजेक्ट की जांच के लिए मौके पर जाएगी। क्या-क्या काम हुए। क्या काम नहीं किए। रिपोर्ट बनाएगी। रिपोर्ट के आधार पर बिल्डर्स को काली सूची में डाला जा रहा है। अनियंत्रित विकास को रोकने के लिए एडीए ने वाह्य विकास शुल्क का शिकंजा कसना शुरू किया है।
रजरई रोड पर 63 कॉलोनियों में नहीं सुविधाएं
शमसाबाद-रजरई रोड पर 63 से अधिक कॉलोनियों में सीवेज ट्रीटमेंट, सड़क व अन्य बुनियादी सुविधाएं विकसित नहीं की गई। वाह्य विकास शुल्क भी जमा नहीं किया। सीवेज का गंदा पानी जब सड़कों पर बहने लगा तो क्षेत्रीय लोगों ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एनजीटी में शिकायत दर्ज कराई। एनजीटी ने इस मामले में एडीए की लापरवाही मानते हुए दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।
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