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अलीगढ़ कांग्रेस जिलाध्यक्ष संतोष सिंह
– फोटो : अमर उजाला
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अलीगढ़ के ओजोन सिटी डेवलेपर्स और सांसद सतीश गौतम के बीच छिड़ी रार के बीच कांग्रेस ने शुक्रवार को नया बम फोड़ दिया। कांग्रेस जिलाध्यक्ष संतोष सिंह ने प्रेसवार्ता कर कहा कि अकेले मनोज गौतम का ही नहीं, बल्कि इस इलाके में करीब 300 करोड़ रुपये कीमत की 150 बीघे से अधिक जमीन की खरीद फारोख्त अवैध है।
जिसमें ओजोन सहित कई बिल्डर-कालोनाइजर शामिल हैं। उन्होंने इस पूरे मामले में 2007 में तत्कालीन एडीएम प्रशासन द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट मीडिया को सौंपते हुए सीबीआई जांच की मांग उठाई है। कहा है कि तभी तस्वीर साफ होगी कि आखिर कौन-कौन सफेदपोश व अफसर इस गोरखधंधे में दोषी हैं।
जिला कार्यालय पर शाम को आयोजित प्रेसवार्ता में जिलाध्यक्ष संतोष सिंह ने कहा कि ओजोन सिटी-सांसद विवाद में सिर्फ सिर्फ सांसद के रिश्तेदार मनोज गौतम के बैनामे को आधार बनाकर एक दूसरे पर आरोप लगाए जा रहे हैं। यह सही है कि मनोज का बैनामा अवैध है। जिस राजवती के नाम से मनोज के नाम बैनामा बताया गया है, वह मूल रूप से अतरौली तहसील की निवासी थी।
उसके पति सीडीओ कार्यालय में कार्यरत थे और असदपुर कयाम पर राजवती के नाम गलत तरीके से पट्टा कराया गया। उसी गलत पट्टेधारक से मनोज गौतम ने बैनामा कराया। राजस्व अभिलेखों में जो जमीन गाटा संख्या 175 पर दर्ज थी, उसे 115/2 पर दर्शाकर बैनामा किया गया। कानूनन असंक्रमणीय भूमि का स्थानांतरण नहीं हो सकता। इसमें फर्जी तरीके से आवंटियों के सहारे बैनामे कराए गए।
ये 40 बाहरी कैसे पा गए पट्टे और किए बैनामे
उन्होंने वर्ष 2007 में तत्कालीन ग्राम प्रधान की शिकायत पर एडीएम प्रशासन अशोक कुमार सिंह द्वारा की गई वह जांच रिपोर्ट भी मीडिया को दी है, जिसमें साफ उल्लेख है कि इस इलाके की 150 बीघा जमीन जो करीब 300 करोड़ कीमत की है। उसमें कुल 53 पट्टे हुए। इसमें से 40 पट्टे राजवती की तरह तमाम सरकारी कर्मचारियों की पत्नियों के नाम से हैं, जो असदपुर कयाम के नहीं, बल्कि बाहर या दूसरे जिलों के हैं।
कुछ पट्टे पूर्व विधायक या वर्तमान भाजपा से जुड़े नेताओं/जनप्रतिनिधियों के परिवार से हैं। जिनका उस इलाके से या तो लेना देना नहीं हैं, या वे पट्टे की पात्रता में नहीं आते हैं। बाद में इनके द्वारा इन पट्टों के भूमाफिया/कालोनाइजरों/बिल्डरों को बैनामे किए गए। इस संबंध में एडीएम प्रशासन ने जब रिपोर्ट तलब की तो तहसील प्रशासन ने स्पष्ट रिपोर्ट दी कि 53 में से 40 पट्टे ऐसे ही लोगों के हैं, जिनमें से सिर्फ एक पट्टा ऐसा है, जिसे एसडीएम ने स्वीकृति नहीं दी, बाकी सभी 36 को तत्कालीन एसडीएम ने यह कहते हुए स्वीकृति दी है कि अगर कोई अवैध पाया जाए तो निरस्त किया जाएगा। इन पट्टे की भूमि को बिना दस वर्ष बीते संक्रमणीय घोषित किया गया है जो अनुचित है। अंत में एडीएम प्रशासन ने आवंटियों, उन्हें करने वालों और उनके विषय में रिपोर्ट देने वालों पर कार्रवाई की संस्तुति की है। मगर यह रिपोर्ट उसके बाद से आज तक कभी सामने नहीं आई।
ये है कांग्रेस जिलाध्यक्ष का दावा
कांग्रेस जिलाध्यक्ष का दावा है कि इस 150 बीघा जमीन कई बिल्डरों के हिस्सों में शामिल है। इस पूरे गोलमाल की सीबीआई से जांच कराया जाना जरूरी है।
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