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मलखान सिंह जिला अस्पताल की इमरजेंसी में स्ट्रेचर पर मरीज को डॉक्टर को दिखाने ले जाते तीमारदार
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
राजस्थान में लागू हुए स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक (राइट टू हेल्थ) के विरोध में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के आह्वान पर मंगलवार को निजी क्षेत्र के डॉक्टर दिन भर हड़ताल पर रहे। सुबह छह से शाम छह बजे तक निजी अस्पतालों में ओपीडी व इमरजेंसी सेवाएं बंद रहीं। निजी अस्पतालों की ओपीडी और इमरजेंसी में आए मरीज भटकते रहे। जिन्हें तत्काल उपचार चाहिए था, वह सरकारी अस्पतालों में पहुंचे। वहां पहले से डॉक्टरों की कमी के कारण घंटों के इंतजार के बाद उन्हें उपचार मिला।
आईएमए के आह्वान पर सुबह छह बजे से ही डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे। जो मरीज पहले से ही इन अस्पतालों भर्ती थे, सिर्फ उन्हीं को उपचार दिया जाता रहा। नये आने वाले मरीजों को उपचार नहीं मिल पा रहा था। सुबह दस बजे सभी डॉक्टर देवत्रय अस्पताल के सामने स्थित गेस्ट हाउस में एकत्रित हुए, जहां बैठक हुई। इस दौरान राजस्थान के हड़ताली डॉक्टरों का समर्थन किया गया। आईएमए अध्यक्ष डा.आलोक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि यह विधेयक संविधान की धारा 21 के अंतर्गत डॉक्टर्स को राइट टू लिव अधिकार से वंचित करने का प्रयास है।
आमजन को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन सरकार इससे पल्ला झाड़ रही है। जबरन प्राइवेट डॉक्टरों पर सबकुछ थोपना चाह रही है। इस विधेयक से संबंधित कमेटियों में निजी डॉक्टरों को शामिल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। आईएमए के सचिव डॉ. अनूप कुमार ने बताया कि विधेयक में बिना सुनवाई के सजा का प्रावधान है। इमरजेंसी की कोई परिभाषा नहीं है। कोई भी डॉक्टर किसी का भी उपचार करेगा, यह किसी भी तरह से व्यवाहरिक नहीं है। बिधेयक में संशोधन किया जाना चाहिए। ये पूरी तरह से चुनावी विधेयक है। कोषाध्यक्ष डॉ. आयुष ने बताया कि आईएमए का मानना है कि मुफ्त का कोई भी सिस्टम स्थायी नहीं होता है।
मीडिया प्रभारी डॉ प्रदीप बंसल ने बताया कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सभी सदस्य राजस्थान के निजी डॉक्टरों के साथ हैं। आज सांकेतिक रूप से काम बंद कर हड़ताल कर रहे हैं। जरूरत हुई तो यह आंदोलन आगे बढ़ेगा। इस मौके पर डॉ. एसपी सिंह, डॉ. यूएस वाष्र्णेय, डा.मनोज मित्तल, डॉ. जयंत शर्मा, डॉ. राजीव वष्र्णेय, डॉ. अभिषेक सिंह, डॉ. भरत, डॉ. लवनीश, डॉ. विभव वाष्र्णेय, डॉ. सुरभि, डॉ. रश्मि, डॉ. नेहा, डॉ. निखिल, डॉ. सुवेक, डॉ. जॉली, डॉ. उषा सिंहल, डॉ. केसी सिंहल, डॉ. रवि सूद, डॉ. मेजर गौरव, डॉ. सुमित सिंहल, डॉ. पी के शर्मा, डा.आशा राठी, डॉ. विजयपाल आदि थे।
मुझे पथरी है, जिसके लिए मैं निजी अस्पताल गई थी, वहां डॉक्टर न मिलने पर यहां आना पड़ा और यहां भी आधे दिन की छुट्टी है। पर्चा नहीं बन पाया। -सपना, जिला अस्पताल पहुंची मरीज
गले की गांठ के इलाज के लिए आया था। मगर 11 बजने की वजह से ओपीडी का पर्चा नहीं बन पाया और मजबूरी में वापस लौटना पड़ रहा है। -रामपाल दीनदयाल में आए मरीज
टाइफाइड से पीड़ित होने के कारण यहां आई थी, मगर ओपीडी में डॉक्टर जल्दी चले गए, इलाज भी नहीं हो पाया और प्राइवेट अस्पताल बंद हैं। -तारावती, जिला अस्पताल की मरीज।
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