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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Fri, 29 Apr 2022 10:39 PM IST
सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाबी हलफनामे में मांगी गई जानकारी नहीं देने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से जवाबी हलफ नामा दाखिल किया गया है, इससे पता चल रहा है कि धारा 83 सी जीएसटी एक्ट की कार्रवाई की वैधता के मुद्दे पर अधिकारी जवाब नहीं देना चाहते।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जवाबी हलफनामे में मांगी गई जानकारी नहीं देने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा कि जिस तरीके से जवाबी हलफ नामा दाखिल किया गया है, इससे पता चल रहा है कि धारा 83 सी जीएसटी एक्ट की कार्रवाई की वैधता के मुद्दे पर अधिकारी जवाब नहीं देना चाहते। जबकि कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कार्रवाई की वैधता पर जवाब मांगा है। मामले में उपायुक्त सीजीएसटी गाजियाबाद ने हलफनामा दाखिल किया और जिसका जवाब देना था, उसी का नहीं दिया।
कोर्ट की फटकार के बाद सरकारी अधिवक्ता ने जवाब देने के लिए समय मांगा। जिस पर कोर्ट ने पांच हजार रुपये का हर्जाना जमा करने की शर्त पर पांच दिन का समय दिया है। याचिका की सुनवाई पांच मई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने वरुण गुप्ता की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।
कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से हलफनामा दाखिल किया गया जिसमें धारा 83 के बारे में जानबूझकर एक शब्द नहीं लिखा गया है। कोर्ट ने हर्जाना राशि विधिक सेवा प्राधिकरण हाईकोर्ट इकाई में जमा करने का निर्देश दिया है।
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