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बांके बिहारी मंदिर
– फोटो : अमर उजाला
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इलाहाबाद हाईकोर्ट बांके बिहारी कॉरिडोर और घाटों के निर्माण के मामले की सुनवाई अलग-अलग करेगा। कोर्ट ने कहा कि दोनों मामलों की प्रकृति अलग है, इसलिए कोर्ट दोनों मामलों की एक साथ सुनवाई नहीं करेगी। कोर्ट अब इस मामले में अब 28 फरवरी को सुनवाई करेगी। अनंत शर्मा व अन्य सहित कई अन्य याचिकाओं पर कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति प्रीतिंकर दिवाकर और न्यायमूर्ति एसडी सिंह की खंडपीठ सुनवाई कर रही थी।
अभी तक इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ कर रही थी। मुख्य न्यायमूर्ति रहे राजेश बिंदल की नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट में हो जाने की वजह से मंगलवार को मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायमूर्ति की खंडपीठ के समक्ष हुई। कोर्ट ने मामले में दाखिल अलग-अलग याचिकाओं की स्थिति जानी। महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्रा ने बताया कि कॉरिडोर बनाने और घाटों के निर्माण का मामला अलग-अलग है। दोनों ही मामलों में अलग-अलग याचिकाएं दाखिल हैं। घाट बनाने के मामले में सरकार अपना काम कर रही है।
पुराने घाटों का भी होगा जीर्णोद्धार
इस पर याचियों की ओर आपत्ति उठाई गई कि सरकार नए घाटों के निर्माण कर रही है लेकिन पुराने घाटों को नजरअंदाज कर रही है। इस पर कोर्ट ने महाधिवक्ता से स्थिति जाननी चाही। महाधिवक्ता ने कहा कि सरकार पुराने घाटों का भी जीर्णोद्धार कराएगी। उसे कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने कॉरिडोर निर्माण मामले को जानना चाहा तो याचियों ने बताया कि यूपी सरकार ने बांके बिहारी मंदिर सेवा समिति के पैसे से सारा काम कराने की योजना बनाई है, जबकि सेवा समिति से जुड़े सेवायतों को नजरअंदाज किया जा रहा है। सेवायत ही मंदिर की देखरेख करते हैं। इसके अलावा कॉरिडोर के तहत जो भी निर्माण का ढांचा तैयार किया गया है, वह क्षेत्र एएसआई के दायरे में है। लिहाजा, वहां निर्माण नहीं हो सकता है। कोर्ट ने मामले को समझने के बाद आगे की सुनवाई के लिए 28 फरवरी की तिथि तय की है।
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