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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के अर्द्ध न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा केस का नंबर या कंप्यूटर नंबर दिए बगैर आदेश पारित करने के चलन को अनुचित व विधि प्रक्रिया के विपरीत करार देते हुए इस पर विराम लगाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा है कि दो हफ्ते में परिपत्र जारी कर सभी प्राधिकारियों को अर्जी अपील या पुनरीक्षण दाखिल करने के दिन ही केस नंबर, कंप्यूटर नंबर दर्ज करने का दिशा निर्देश दें।
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने बाबू राम की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सस्ते गल्ले की दुकान मामले में अपील तय करने के 60 दिन के नियम का पालन नहीं किया जा रहा। इस पर कोर्ट ने संयुक्त आयुक्त खाद्य सहारनपुर को याची की सस्ते गल्ले की दुकान को लेकर एसडीएम जनसठ मुजफ्फरनगर के आदेश के खिलाफ अपील दो माह में तय करने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है नियम कानून का पालन किया जाए।
तर्क दिया गया कि संयुक्त आयुक्त सहारनपुर ने दाखिल अपील पर पत्रावली तलब की किंतु आदेश में कोई केस नंबर या कंप्यूटर नंबर नहीं दिया है। कोर्ट ने कहा ऐसा अर्द्ध न्यायिक प्राधिकारियों द्वारा अक्सर किया जा रहा है, जो नियम के खिलाफ है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया है कि मामले में कार्यवाही कर 19 सितंबर को रिपोर्ट पेश करें।
मामले में एसडीएम ने याची की दुकान के खिलाफ कार्रवाई की थी। जिसके खिलाफ आयुक्त के समक्ष अपील की गई। संयुक्त आयुक्त खाद्य इसकी सुनवाई कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा, केस नंबर न दर्ज होने से सुनवाई में देरी के साथ वादकारियों को परेशानी होती है। इसलिए केस दाखिल होते ही उसका नंबर या कंप्यूटर नंबर दर्ज किया जाए और केस 60 दिन की तय अवधि में निस्तारित किया जाए।
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