Allahabad High Court : विदेश में रहने वाले व्यक्ति पर दर्ज की एफआईआर, हाईकोर्ट ने न्यायिक कार्रवाई पर लगाई रोक

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Wed, 16 Feb 2022 09:42 PM IST

सार

याची के अधिवक्ता अशोक कुमार ओझा ने तर्क दिया कि याचियों को गलत रूप से फंसाया गया है। कथित घटना 12 जून 2020 की है। जबकि, एफआईआर सात अप्रैल 2021 को दर्ज कराया गया। एफआईआर तकरीबन 10 महीने बाद दर्ज किया गया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुशीनगर जिले के सिरोही थाने के वीरेंद्र कुशवाहा व छह अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि मामले में अगली सुनवाई तक सीजीएम कोर्ट कोई कार्रवाई न करे। यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने दिया है।

याची के अधिवक्ता अशोक कुमार ओझा ने तर्क दिया कि याचियों को गलत रूप से फंसाया गया है। कथित घटना 12 जून 2020 की है। जबकि, एफआईआर सात अप्रैल 2021 को दर्ज कराया गया। एफआईआर तकरीबन 10 महीने बाद दर्ज किया गया है। घटना जिस समय हुई उस समय याची नंबर दो कुवैत में था। अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला मनगढ़ंत और झूठा हैं।

हालांकि, सरकारी की ओर से इसका विरोध किया गया। कोर्ट ने पाया कि याचिका पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने विपक्षी पक्ष से चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। याचियों को भी निर्देश दिया कि विपक्षी पक्ष की ओर से हलफनामा दाखिल होने के बाद प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करेंगे। कोर्ट ने सीजेएम कुशीनगर को भी निर्देशित किया कि वह मामले में अगली तिथि तक याचियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुशीनगर जिले के सिरोही थाने के वीरेंद्र कुशवाहा व छह अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायिक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा है कि मामले में अगली सुनवाई तक सीजीएम कोर्ट कोई कार्रवाई न करे। यह आदेश न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने दिया है।

याची के अधिवक्ता अशोक कुमार ओझा ने तर्क दिया कि याचियों को गलत रूप से फंसाया गया है। कथित घटना 12 जून 2020 की है। जबकि, एफआईआर सात अप्रैल 2021 को दर्ज कराया गया। एफआईआर तकरीबन 10 महीने बाद दर्ज किया गया है। घटना जिस समय हुई उस समय याची नंबर दो कुवैत में था। अधिवक्ता ने कहा कि यह मामला मनगढ़ंत और झूठा हैं।

हालांकि, सरकारी की ओर से इसका विरोध किया गया। कोर्ट ने पाया कि याचिका पर विचार किए जाने की आवश्यकता है। कोर्ट ने विपक्षी पक्ष से चार सप्ताह में जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है। याचियों को भी निर्देश दिया कि विपक्षी पक्ष की ओर से हलफनामा दाखिल होने के बाद प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करेंगे। कोर्ट ने सीजेएम कुशीनगर को भी निर्देशित किया कि वह मामले में अगली तिथि तक याचियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेंगे।

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