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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 25 Jun 2022 12:28 AM IST
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि जब किसी विवादित मामले को हल करने केलिए पक्षकारों में आपसी सहमति है तो उसमें कोई आदेश पारित करने की जरूरत नहीं है। बशर्तें न्यायालय का संतुष्ट होना जरूरी है। कोर्ट ने मामले में पुलिस की किसी भी तरह की उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी। यह आदेश न्यायमूर्ति डॉ. कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति गौतम चौधरी की खंडपीठ ने राघव पांडेय व पांच अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया।
मामले में याचियों के खिलाफ 18 मई 2022 को आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 323, 504, 506, 386 और 342 के तहत वाराणसी के सारनाथ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। पक्षकारों ने आपसी सहमति से विवाद को समाप्त कर लिया। याचियों ने इस संबंध में कोर्ट में रिकॉड भी प्रस्तुत किए, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। लेकिन आदेश में बर्खास्तगी शब्द दर्ज हो गया, जिसे कोर्ट ने अपने रिकॉर्डों पर सही करते हुए यह आदेश दिया।
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