Congress: बुरे दौर में भी जड़ों को सहेजने की कोशिश कर रही कांग्रेस, क्या जनता का भरोसा जीत पाएगी पार्टी?

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कांग्रेस इस समय अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है। लोकसभा में उसके सदस्यों की संख्या सिमट रही है, तो पार्टी के शीर्ष नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार के मामलों में ईडी की जांच चल रही है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश विधानसभा में उसके केवल दो विधायक रह गए हैं तो इतिहास में पहली बार यूपी विधान परिषद में उसका कोई सदस्य नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसके प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तक अपना चुनाव हार गए और पार्टी केवल 2.33 फीसदी मत ही प्राप्त कर सकी।

भाजपा के गढ़ों में की शानदार रैली

यह किसी भी राजनीतिक पार्टी के हौसले पस्त करने वाली स्थिति हो सकती है, लेकिन कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं की शैली बताती है कि अभी उन्होंने हार नहीं मानी है। गांधी परिवार ने स्वयं कमान संभाल रखी है। राहुल गांधी-प्रियंका गांधी स्वयं सड़कों पर उतर रहे हैं और सरकार के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं। अपने सबसे बड़े नेताओं को सड़क पर उतरते देख आम कांग्रेस कार्यकर्ता भी उत्साहित है और इन प्रदर्शनों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। यह कोशिश लुटियन दिल्ली तक सीमित न होकर दूर-दराज क्षेत्रों में भी जारी है। यह स्थिति आम कांग्रेसी में पार्टी के भविष्य को लेकर उम्मीद पैदा करती है।

प्रियंका गांधी ने विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में पार्टी की जमीन तैयार करने की रणनीति बनाई थी। गांव-ब्लॉक और जिला स्तर तक के कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क कर वे उन्हें उत्साहित करने का काम करती रहीं। भारतीय जनता पार्टी के गढ़ वाराणसी और गोरखपुर में कांग्रेस ने शानदार रैली कर कांग्रेस ने दूसरे दलों के चेहरों पर शिकन ला दी थी। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का सांप्रदायिक आधार पर पूरी तरह ध्रुवीकरण न हो गया होता तो कांग्रेस के लिए प्रदेश से बेहतर खबर सामने आ सकती थी।

लगातार चल रहे कार्यक्रम

खराब राजनीतिक परिणाम के बाद भी कांग्रेस नेताओं के हौंसले पस्त नहीं हुए हैं। यह बात इससे भी प्रमाणित होती है कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रदेश में पार्टी के पास कोई अध्यक्ष नहीं है, लेकिन इसके बाद भी उसके राजनीतिक कार्यक्रम लगातार जारी हैं। 9-15 अगस्त के बीच यूपी में आजादी गौरव यात्रा का कार्यक्रम हुआ है। 17 अगस्त से लगातार महंगाई पर चौपाल कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जो 23 अगस्त तक चलेगा। पार्टी कार्यकर्ता 04 सितंबर को दिल्ली में होने वाले बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें केंद्र सरकार को महंगाई पर घेरने की योजना बनाई जा रही है।

जड़ों को सहेज रहे कांग्रेसी

उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विश्व विजय सिंह ने पार्टी की गतिविधियों पर टिप्पणी करते हुए अमर उजाला से कहा कि एक सोची-समझी साजिश के अंतर्गत देश में गांधी-नेहरु के विचारों को खलनायक की तरह पेश करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में हमारी कोशिश केवल उन्हीं लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने की है जो इस देश की सांस्कृतिक पहचान रहे हैं और जिनके बल पर आज तक इस देश का लोकतंत्र सफलतापूर्वक चलता आ रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों-कस्बों के बीच आज भी इस विचारधारा को न केवल स्वीकृति मिल रही है, बल्कि लोग खुशी के साथ उनके साथ जुड़ भी रहे हैं।

जनता को अपनी प्राथमिकता तय करने का समय

क्या आने वाले चुनाव में कांग्रेस की यह कोशिश राजनीतिक परिणाम में परिवर्तित हो सकेगी? अमर उजाला के इस प्रश्न पर कांग्रेस नेता ने कहा कि विधानसभा चुनाव के पहले भी कांग्रेस लोगों की लड़ाई लड़ रही थी और आज खराब राजनीतिक परिणाम आने के बाद भी वह लोगों के मुद्दे लेकर सड़कों पर है। कोरोना काल में विपक्ष की तरफ से केवल कांग्रेस लोगों की मदद करने के लिए सामने आई थी, जबकि उस समय भी दूसरे विपक्षी दल अपने घरों में बैठे हुए थे। आज महंगाई-बेरोजगारी के मुद्दे पर कांग्रेस को छोड़कर पूरा विपक्ष मौन है। अब जनता को यह तय करना चाहिए कि वह किस तरह के राजनीतिक दलों को अपना समर्थन देना सही समझती है।

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फिर हो सकती है कांग्रेस की वापसी

यूपी में प्रमुख विपक्षी दल बसपा लगभग सिमटती हुई दिख रही है, तो समाजवादी पार्टी में अंतर्कलह बढ़ता जा रहा है। उसके पारंपरिक मुसलमान वोटर भी मुसलमानों के मुद्दे पर उसके रूख से नाराज हैं और पार्टी के शीर्ष नेताओं में भी परस्पर सामंजस्य में कमजोरी दिख रही है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यदि कांग्रेस लोगों का विश्वास जीत पाती है और दलित, पिछड़े और मुसलमान मतदाताओं का एक वर्ग उसकी तरफ वापस लौटता है तो यूपी में कांग्रेस की किस्मत दुबारा खुल सकती है। कांग्रेस नेता इसी उम्मीद में अपनी कोशिश जारी रखे हुए हैं।

विस्तार

कांग्रेस इस समय अपने सबसे खराब राजनीतिक दौर से गुजर रही है। लोकसभा में उसके सदस्यों की संख्या सिमट रही है, तो पार्टी के शीर्ष नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर भ्रष्टाचार के मामलों में ईडी की जांच चल रही है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश विधानसभा में उसके केवल दो विधायक रह गए हैं तो इतिहास में पहली बार यूपी विधान परिषद में उसका कोई सदस्य नहीं है। पिछले विधानसभा चुनाव में उसके प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू तक अपना चुनाव हार गए और पार्टी केवल 2.33 फीसदी मत ही प्राप्त कर सकी।

भाजपा के गढ़ों में की शानदार रैली

यह किसी भी राजनीतिक पार्टी के हौसले पस्त करने वाली स्थिति हो सकती है, लेकिन कांग्रेस नेताओं-कार्यकर्ताओं की शैली बताती है कि अभी उन्होंने हार नहीं मानी है। गांधी परिवार ने स्वयं कमान संभाल रखी है। राहुल गांधी-प्रियंका गांधी स्वयं सड़कों पर उतर रहे हैं और सरकार के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों का नेतृत्व कर रहे हैं। अपने सबसे बड़े नेताओं को सड़क पर उतरते देख आम कांग्रेस कार्यकर्ता भी उत्साहित है और इन प्रदर्शनों में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। यह कोशिश लुटियन दिल्ली तक सीमित न होकर दूर-दराज क्षेत्रों में भी जारी है। यह स्थिति आम कांग्रेसी में पार्टी के भविष्य को लेकर उम्मीद पैदा करती है।

प्रियंका गांधी ने विधानसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में पार्टी की जमीन तैयार करने की रणनीति बनाई थी। गांव-ब्लॉक और जिला स्तर तक के कार्यकर्ताओं से सीधा संपर्क कर वे उन्हें उत्साहित करने का काम करती रहीं। भारतीय जनता पार्टी के गढ़ वाराणसी और गोरखपुर में कांग्रेस ने शानदार रैली कर कांग्रेस ने दूसरे दलों के चेहरों पर शिकन ला दी थी। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि विधानसभा चुनाव में मतदाताओं का सांप्रदायिक आधार पर पूरी तरह ध्रुवीकरण न हो गया होता तो कांग्रेस के लिए प्रदेश से बेहतर खबर सामने आ सकती थी।

लगातार चल रहे कार्यक्रम

खराब राजनीतिक परिणाम के बाद भी कांग्रेस नेताओं के हौंसले पस्त नहीं हुए हैं। यह बात इससे भी प्रमाणित होती है कि विधानसभा चुनाव के बाद से ही प्रदेश में पार्टी के पास कोई अध्यक्ष नहीं है, लेकिन इसके बाद भी उसके राजनीतिक कार्यक्रम लगातार जारी हैं। 9-15 अगस्त के बीच यूपी में आजादी गौरव यात्रा का कार्यक्रम हुआ है। 17 अगस्त से लगातार महंगाई पर चौपाल कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है जो 23 अगस्त तक चलेगा। पार्टी कार्यकर्ता 04 सितंबर को दिल्ली में होने वाले बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं, जिसमें केंद्र सरकार को महंगाई पर घेरने की योजना बनाई जा रही है।

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