शिव की नगरी काशी में दीपोत्सव का उल्लास आज अमावस की रात में बिखरेगा। घर-घर लक्ष्मी-गणेश विराजेंगे और घर आंगन भी दीपों से सजाए जाएंगे। सुख-समृद्धि, धन-वैभव की अधिष्ठात्री देवी भगवती मां लक्ष्मी तथा ऋद्धि-सिद्धि के अधिष्ठाता प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा के बाद कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि के अनुष्ठान पूर्ण होंगे। दीपावली पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने का विधान होता है। मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश, कुबेर और माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में किया जाना सबसे शुभ माना गया है। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। मान्यता है कि स्थिर लग्न में की गई पूजा-आराधना में माता लक्ष्मी का वास भी स्थायी होता है। इसके अलावा महानिशीथ काल में भी लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। दिवाली की रात से ही सूतक लगेगा। हालांकि ज्योतिषविदों के अनुसार सूर्य ग्रहण के कारण लक्ष्मी पूजन पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आचार्य रविंद्र भारद्वाज ने कहा कि महानिशिथ काल दीपावली रात्रि में 11:46 से 12:37 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में भी पूजा करना श्रेष्ठ फलदायी रहता है। 25 अक्तूबर को संपूर्ण भारत में सायंकाल 4:22 से 5:54 तक एवं वाराणासी में सायंकाल 4:42 से 5:22 तक। सूतक 25 अक्टूबर को ब्रह्म वेला प्रातः 4:22 से रहेगा।
धनु लग्न: सुबह 10:26 से दोपहर 12:32 तक शिक्षण संस्थान, विद्यार्थी , व्यापारी अपने उद्योग धंधे, व्यवसाय, दुकानदारी, प्रतिष्ठान आदि में लक्ष्मीपूजन के लिए धनु लग्न को श्रेष्ठ मानते हैं। क्योंकि लग्न का स्वामी ग्रह गुरू है। शुभ ग्रह होने से गुरू सबकी सफलता में सहायक रहता है।
मकर लग्न: दोपहर 12:33 से दोपहर 2:19 तक मकर लग्न में लग्नेश शनि तथा अभिजीत मुहूर्त की उपस्थिति कार्यसिद्धी में मदद करेगी। लोहा, इलेक्ट्रानिक, वर्तन, फ़ूड ,आदि से जुड़े लोग पूजन करें
कुम्भ लग्न: दोपहर 2:20 से दोपहर 3:50 तक रहेगा। कुम्भ लग्न स्थिर लग्न माना जाता है इसमें होटल,रेस्टोरेंट, हॉस्पिटल मेडिकल व्यवसाय आदि से जुड़े लोग पूजन करने से आय समृद्धि स्थायी होती है। इस समय लाभ का चौघड़िया भी रहेगा जो पूजन करने व कराने वालों की कार्यसिद्धि में लाभप्रद रहेगा।
मीन लग्न: अपराह्न 3:51 से सायं 5:18 तक श्रेष्ठ रहेगा। इस समय अमृत का चौघड़िया भी रहेगा जो शिक्षा, कोचिंग, आध्यात्मिक साधना मैं संलग्न साधकों वर्षभर पूजनार्थियों पर अमृत की वर्षा करायेगा। मेष लग्न: सायंकाल 5:19 से 6:55 तक प्रदोष की वेला में श्रेष्ठ माना जाएगा। जो जमीन कारोबारी, शेयर बाजार कारोबारी,इस लग्न मैं पूजन से व्यापार उत्तरोत्तर वृद्धि को प्राप्त होगा।
प्रदोषकाल:- वृष लग्न सायंकाल 6:56 से रात्रि 8:51 बजे तक। इस लग्न में सराफा व्यापारी, वस्त्र व्यापारी, गिफ्ट व्यापारी एवं सभी साधकों को सर्व सिद्धि के लिए अपने घर में माता लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए।
सिंह लग्न:- मध्यरात्रि बाद 1:23 से 3:37 बजे तक।
अमृत का चौघड़िया- प्रात: सूर्योदय से 7:59 तक
शुभ का चौघड़िया- प्रात: 9:23 से 10:47 तक
चर का चौघड़िया- दोपहर 1:35 से 2:59 बजे तक
लाभ व अमृत का चौघड़िया- दोपहर 3 बजे से सूर्यास्त तक।
अभिजित मुहूर्त दोपहर 11:50 से 12:40 बजे तक
विस्तार
शिव की नगरी काशी में दीपोत्सव का उल्लास आज अमावस की रात में बिखरेगा। घर-घर लक्ष्मी-गणेश विराजेंगे और घर आंगन भी दीपों से सजाए जाएंगे। सुख-समृद्धि, धन-वैभव की अधिष्ठात्री देवी भगवती मां लक्ष्मी तथा ऋद्धि-सिद्धि के अधिष्ठाता प्रथम पूज्य श्रीगणेश की पूजा के बाद कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या तिथि के अनुष्ठान पूर्ण होंगे। दीपावली पर मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने का विधान होता है। मां लक्ष्मी के साथ भगवान गणेश, कुबेर और माता सरस्वती की पूजा की जाती है।
शास्त्रों के अनुसार लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल में किया जाना सबसे शुभ माना गया है। प्रदोष काल के दौरान स्थिर लग्न में लक्ष्मी पूजन करना सर्वोत्तम माना गया है। मान्यता है कि स्थिर लग्न में की गई पूजा-आराधना में माता लक्ष्मी का वास भी स्थायी होता है। इसके अलावा महानिशीथ काल में भी लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व होता है। दिवाली की रात से ही सूतक लगेगा। हालांकि ज्योतिषविदों के अनुसार सूर्य ग्रहण के कारण लक्ष्मी पूजन पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा।
आचार्य रविंद्र भारद्वाज ने कहा कि महानिशिथ काल दीपावली रात्रि में 11:46 से 12:37 तक रहेगा। इस शुभ मुहूर्त में भी पूजा करना श्रेष्ठ फलदायी रहता है। 25 अक्तूबर को संपूर्ण भारत में सायंकाल 4:22 से 5:54 तक एवं वाराणासी में सायंकाल 4:42 से 5:22 तक। सूतक 25 अक्टूबर को ब्रह्म वेला प्रातः 4:22 से रहेगा।