Driving License: पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी का ड्राइविंग लाइसेंस निकला फर्जी, 20 साल बाद हुआ खुलासा

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पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर (आरटीआई एक्टिविस्ट ) का आगरा के आरटीओ में बना ड्राइविंग लाइसेंस जांच में फर्जी निकला। उन्होंने पति की आगरा में पोस्टिंग के दौरान वर्ष 2002 में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था। तीन जून को अवधि समाप्त होने के बाद जब उन्होंने चेक कराया तो आरटीओ में इस नंबर पर दूसरा लाइसेंस दर्ज मिला। इनका कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया। 

जनवरी 2002 में बनाया था ड्राइविंग लाइसेंस

लखनऊ के गोमती नगर निवासी पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने पति की आगरा में तैनाती के दौरान तीन जनवरी 2002 को आरटीओ से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था। लाइसेंस की वैधता दो जनवरी 2022 तक थी। पिछले दिनों नूतन ठाकुर ने अपने किसी परिचित के माध्यम से आगरा से जारी हुए ड्राइविंग लाइसेंस की प्रतिलिपि भेजकर इसके नवीनीकरण के बारे में जानकारी मांगी। 

आरटीओ में दो जनवरी 2002 को लाइसेंस नंबर 117/एजी/06 से निर्गत यह ड्राइविंग लाइसेंस मोटरसाइकिल और लाइट मोटर व्हीकल का बनाया गया था। आरटीओ में जब लाइसेंस का रिकॉर्ड खंगाला गया तो फाइलों में इस नंबर से दूसरा लाइसेंस दर्ज मिला। यानी यह लाइसेंस फर्जी तरीके से बनाया गया था। 

तब बाहर से ही बन जाते थे लाइसेंस

आरटीओ में वर्ष 2000 से 2005 के बीच आरटीओ में बाहर से ही ड्राइविंग लाइसेंस बनवाकर दे दिए जाते थे। इसका खामियाजा आज तक लोगों को भुगतना पड़ रहा है। एआरटीओ (प्रशासन) एके सिंह का कहना है कि इन पांच साल के दौरान बनाए लाइसेंसों की सबसे ज्यादा फर्जी निकलने की शिकायतें आती हैं। कई मामलों में रिकॉर्ड मिलता है मगर फीस जमा नहीं होता है। ऐसे में आवेदक को दोबारा फीस जमा करने को कहा जाता है तो उसका जवाब होता है कि जब फीस नहीं दी थी तो उस वक्त लाइसेंस कैसे निर्गत हो गया। 

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पुराने लाइसेंस जांच में निकलते हैं फर्जी

आरटीओ (प्रशासन) प्रमोद कुमार सिंह ने बताया कि वर्ष 2000 से 2008 के दौरान निर्गत बहुत से ड्राइविंग लाइसेंस का ब्योरा कार्यालय में नहीं मिलता है। उस दौरान कार्यालय के बाहर से लाइसेंस जारी कर दिए जाते थे, जिनका रिकॉर्ड कार्यालय में नहीं मिल पाता है। ऐसी शिकायतें अकसर आती हैं।

विस्तार

पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर (आरटीआई एक्टिविस्ट ) का आगरा के आरटीओ में बना ड्राइविंग लाइसेंस जांच में फर्जी निकला। उन्होंने पति की आगरा में पोस्टिंग के दौरान वर्ष 2002 में ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था। तीन जून को अवधि समाप्त होने के बाद जब उन्होंने चेक कराया तो आरटीओ में इस नंबर पर दूसरा लाइसेंस दर्ज मिला। इनका कोई रिकॉर्ड नहीं पाया गया। 

जनवरी 2002 में बनाया था ड्राइविंग लाइसेंस

लखनऊ के गोमती नगर निवासी पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर ने पति की आगरा में तैनाती के दौरान तीन जनवरी 2002 को आरटीओ से ड्राइविंग लाइसेंस बनवाया था। लाइसेंस की वैधता दो जनवरी 2022 तक थी। पिछले दिनों नूतन ठाकुर ने अपने किसी परिचित के माध्यम से आगरा से जारी हुए ड्राइविंग लाइसेंस की प्रतिलिपि भेजकर इसके नवीनीकरण के बारे में जानकारी मांगी। 

आरटीओ में दो जनवरी 2002 को लाइसेंस नंबर 117/एजी/06 से निर्गत यह ड्राइविंग लाइसेंस मोटरसाइकिल और लाइट मोटर व्हीकल का बनाया गया था। आरटीओ में जब लाइसेंस का रिकॉर्ड खंगाला गया तो फाइलों में इस नंबर से दूसरा लाइसेंस दर्ज मिला। यानी यह लाइसेंस फर्जी तरीके से बनाया गया था। 

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