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राजाराम की पत्नी संतोष कुमारी दो पुत्र और दो पुत्रियों के साथ अलीगंज के मोहल्ला पड़ाव में रहती हैं। मेहनत-मजदूरी कर किसी तरह मकान बनवा लिया है। मोहित ने कहा कि जब पिता की हत्या हुई थी उस समय वह करीब पांच साल का था। पिता की मौत के बाद पूरा परिवार अस्त-व्यस्त हो गया। हम लोगों के साथ बहुत बुरा हुआ। ऐसा किसी के साथ न हो।
राजाराम की पत्नी संतोष ने कहा कि न्याय के लिए बहुत लंबा संघर्ष किया है। अदालत ने अपना काम कर हम लोगों को न्याय भी दिला दिया। अब सरकार आगे आए और मुखिया के रूप में पति की मौत के बाद बिगड़ी घर की स्थिति संभालने के लिए कुछ करे। एक बच्चे को नौकरी दिलाई जाए।
राजाराम की मौत के बाद परिवार का गुजारा बड़ी चुनौती बन गई थी। मिलावली में संतोष ने प्राथमिक विद्यालय में रसोइया का काम किया। कुछ साल यहां रहने के बाद बच्चों को लेकर वह मायके राजा का रामपुर चली आईं। यहां पिता, भाइयों के साथ रहीं। बाद में बड़े पुत्र मोहित पढ़ाई के साथ ही फर्नीचर का काम करने लगा। जिससे कुछ कमाई हुई तो अलीगंज में अपना मकान बनवा लिया। जिम्मेदारियों के चलते इंटर के बाद मोहित की पढ़ाई छूट गई। छोटा पुत्र रोहित इंटर कर रहा है। जबकि पुत्री सुनीता हाईस्कूल व पूनम कक्षा आठ की छात्रा है।
लंबे इंतजार के बाद अदालत का फैसला आया तो राजाराम की पत्नी संतोष और बेटे मोहित ने आसपास के घरों के लोगों को मिठाई भी बांटी। उन्होंने कहा कि पुलिस विभाग से संघर्ष करते हुए विषम हालात में हमने यह जीत हासिल की है।
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