Gorakhpur: तीन दशक पुरानी बिजली व्यवस्था उद्यमियों को दे रही दर्द, उत्पादन पर भी पड़ रहा खराब असर

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प्रतीकात्मक तस्वीर।

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– फोटो : अमर उजाला।

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गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) अपना 33वां स्थापना दिवस मना रहा है। 30 नवंबर 1989 में गीडा की स्थापना की गई थी। वर्तमान में यहां छोटे-बड़े 550 उद्योग संचालित हो रहे हैं, लेकिन करीब तीन दशक पुरानी बिजली व्यवस्था उद्यमियों को दर्द दे रही है। औद्योगिक क्षेत्र में बार-बार ट्रिपिंग और फॉल्ट की वजह से न सिर्फ उत्पादन प्रभावित होता है, बल्कि मशीनों आदि के खराब होने की आशंका बनी रहती है।

दरअसल, स्थापना के समय गीडा के औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की लाइन खींची गई थी। तब से गीडा में न सिर्फ नए नए उद्योग लग रहे हैं, बल्कि सेक्टर भी बढ़ रहे हैं। लेकिन, उस अनुपात में बिजली के संसाधनों में बढ़ोतरी नहीं हुई है।

ऐसे में जब भी ट्रांसफार्मर या पुराने हो चुके तारों पर लोड पड़ता है, तो बिजली दगा दे जाती है। बार-बार ट्रिपिंग से उद्यमियों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान लेने के बाद अब सुधार की संभावना नजर आ रही है। बिजली व्यवस्था को अपग्रेड करने के लिए बिजली निगम की ओर से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर गीडा प्रशासन को दे दिया गया है। जल्द ही इसके स्वीकृत होने की संभावना है।

 गीडा की स्थापना के समय से मेरी यूनिट है। कलकत्ता से आकर मैंने अपनी यूनिट लगाई थी। पहले इतनी दिक्कत नही थी। इधर 2,3 वर्षों से बिजली की स्थिति चिंताजनक हो गई है। रोज-रोज हो रहे नुकसान से अब यूनिट चला पाना संभव नही है। यही स्थिति रही तो मजबूरी में किसी अन्य प्रदेश में जाकर उद्योग लगाना पड़ेगा। :अशोक शाव, एमडी एबीआर पेट्रो

 

एक बार बिजली जाने पर कपड़े को प्रोसेस करने के लिए स्टंटर में लगा लगभग 40 मीटर कपड़ा खराब हो जाता है, जिसका दोबारा कोई उपयोग नही होता। हमारी यूनिट में चार स्टंटर हैं, इस प्रकार एक बार बिजली जाने पर करीब 160 मीटर कपड़ा खराब हो जाता है। उद्योगों के संचालन के लिए बिजली की बेहतर आपूर्ति जरूरी है। :संतोष पारीख, अंबे प्रोसेसर्स

बिजली की समस्या अब तक बनी हुई है। अब इसमें आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है, क्योंकि गीडा औद्योगिक क्षेत्र में नए-नए उद्योग लग रहे हैं। सेक्टर विकसित हो रहे हैं। ऐसे में पुराने बिजली के तारों पर इनका चल पाना संभव नहीं है। अंडरग्राउंड केबलिंग की जा रही है, लेकिन मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है। :दीपक अग्रवाल, जिलाध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

 चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज उपाध्यक्ष आरएन सिंह ने कहा कि गीडा में बिजली की खराब व्यवस्था की वजह से नए टेक्सटाइल पार्क में 132 केवी क्षमता सब स्टेशन बनाया जा रहा है। क्योंकि करीब तीन दशक पुरानी बिजली की व्यवस्था के कारण गीडा औद्योगिक क्षेत्र में बार-बार बिजली जाती है। सबसे ज्यादा नुकसान प्लास्टिक और गैस बनाने वाले उद्यमियों को होता है। :आरएन सिंह, उपाध्यक्ष, चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज  

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गीडा दिवस को भव्यता प्रदान करने के लिए प्रशासनिक कार्यालय में बगल में गीडा के उत्पादों और सुविधाओं को लेकर 24 स्टॉल लगेंगे। इसमें प्लास्टिक, रेडीमेड गारमेंट, बैंक, शैक्षणिक संस्थानों के साथ सामान्य उद्योग से जुड़े उत्पादों की प्रदर्शनी लगेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन स्टॉलों का  निरीक्षण भी कर सकते हैं।

गीडा सीईओ पवन अग्रवाल ने सभी 24 स्टॉलों पर प्रदर्शित होने वाले उत्पादों को चिह्नित कर लिया है। प्लास्टिक उद्योग से जुड़ी प्रदर्शनी में उद्यमी अशोक शाह, सनूप कुमार साहू और विनय अग्रवाल की फैक्ट्री में बने उत्पाद होंगे। रेडीमेड गारमेंट के स्टॉलों पर उद्यमी गौरव अग्रवाल, लक्ष्मी शास्त्री, रमाशंकर शुक्ला, सुनील गुप्ता/अनिल गुप्ता, वीके मौर्या और दीपक कुमार कारीवाल की फैक्ट्री में बने उत्पाद होंगे।

सामान्य उद्योग के स्टॉल पर कौशल किशोर निगम, आकाश जालान, दिलीप कुमार गुप्ता, विकास चंद, नवीन अग्रवाल, ओपी श्रीवास्तव/ सौरभ श्रीवास्तव, एहसान करीम, गिरिजा शंकर तिवारी और अमित सचान की फैक्ट्री में बने उत्पाद नजर आएंगे। शैक्षणिक संस्थानों में बीआईटी, आईटीएम और केआईपीएम के स्टॉल लगेंगे।

सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा और भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक के स्टॉल भी लगेंगे। चेंबर ऑफ इंडस्ट्रीज के उपाध्यक्ष आरएन सिंह ने बताया कि 24 स्टॉलों से गीडा की प्रगति का प्रदर्शन होगा।

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गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) अपना 33वां स्थापना दिवस मना रहा है। 30 नवंबर 1989 में गीडा की स्थापना की गई थी। वर्तमान में यहां छोटे-बड़े 550 उद्योग संचालित हो रहे हैं, लेकिन करीब तीन दशक पुरानी बिजली व्यवस्था उद्यमियों को दर्द दे रही है। औद्योगिक क्षेत्र में बार-बार ट्रिपिंग और फॉल्ट की वजह से न सिर्फ उत्पादन प्रभावित होता है, बल्कि मशीनों आदि के खराब होने की आशंका बनी रहती है।

दरअसल, स्थापना के समय गीडा के औद्योगिक क्षेत्र में बिजली की लाइन खींची गई थी। तब से गीडा में न सिर्फ नए नए उद्योग लग रहे हैं, बल्कि सेक्टर भी बढ़ रहे हैं। लेकिन, उस अनुपात में बिजली के संसाधनों में बढ़ोतरी नहीं हुई है।

ऐसे में जब भी ट्रांसफार्मर या पुराने हो चुके तारों पर लोड पड़ता है, तो बिजली दगा दे जाती है। बार-बार ट्रिपिंग से उद्यमियों को काफी नुकसान झेलना पड़ता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान लेने के बाद अब सुधार की संभावना नजर आ रही है। बिजली व्यवस्था को अपग्रेड करने के लिए बिजली निगम की ओर से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर गीडा प्रशासन को दे दिया गया है। जल्द ही इसके स्वीकृत होने की संभावना है।

 गीडा की स्थापना के समय से मेरी यूनिट है। कलकत्ता से आकर मैंने अपनी यूनिट लगाई थी। पहले इतनी दिक्कत नही थी। इधर 2,3 वर्षों से बिजली की स्थिति चिंताजनक हो गई है। रोज-रोज हो रहे नुकसान से अब यूनिट चला पाना संभव नही है। यही स्थिति रही तो मजबूरी में किसी अन्य प्रदेश में जाकर उद्योग लगाना पड़ेगा। :अशोक शाव, एमडी एबीआर पेट्रो

 



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