सरयू नदी में आई बाढ़ ने कछार वासियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। बीते वर्षों में बाढ़ का पानी जहां कभी नहीं पहुंचा था, इस वर्ष सरयू का पानी वहां भी पहुंच गया है। इसकी वजह से पककर कटने को तैयार धान की फसल डूब गई। अब इस फसल के सड़ने की आशंका किसानों को परेशान कर रही है।
सरयू नदी की बाढ़ ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। इससे उसके आसपास के क्षेत्रों में भारी तबाही है। 135 से अधिक गांव मैरुंड घोषित किए जा चुके हैं। सरयू नदी के लिए रामजानकी मार्ग बैरियर है। नदी का पानी इसे भी पार कर तरैना नाले में पहुंच गया। गनगरी होते हुए सरयू का यह पानी उन गांवों में पहुंच गया जहां पहले कभी नहीं पहुंचा था। इससे धान की खड़ी फसल बहुत स्थानों पर डूब गई। चारों तरफ पानी होने से सड़कें टूट गईं। बहुत से रास्ते बंद हो गए।
अहिरौली गांव के श्रीनिवास शाही, घेवरपान गांव के राजेश शाही तथा रियांव गांव के रुदल यादव ने बताया कि इस तरह का पानी जब 1998 में राप्ती का बांध टूटा था तब आया था। सरयू नदी का पानी यहां आने का कोई औचित्य नहीं था। कभी नदी में बहुत बाढ़ आने पर ताल तक पानी आता था।
आज गांव के करीब पानी आ गया। रियांव गांव के पूर्व प्रधान बृजेश शाही, बैजनाथ यादव, दुर्गेश रावत ने कहा कि सरयू का पानी कभी इधर नहीं आया था। इस पानी के आने से किसानों की बहुत ही फसल बर्बाद हुई है। जगह-जगह सड़कें ध्वस्त हो गई हैं। धान की फसल जो बची है उसकी कटाई करना मुश्किल है। प्रशासन किसानों को उनके नुकसान का मुआवजा दे।
सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता रूपेश खरे ने बताया कि रामजानकी मार्ग सरयू का बैरियर है। बाढ़ के पानी ने सभी बैरियर को तोड़ दिया था। इस नाते सरयू का पानी उत्तर दिशा में भी फैल गया। करीब 15 किलो मीटर दूर तक पानी पहुंचने से धान की फसलों को बहुत नुकसान हुआ है। अब पानी तेजी से घट रहा है। रामजानकी मार्ग से पूरी तरह से पानी हट गया है। कल तक राप्ती का भी जलस्तर नीचे आने लगेगा।