Gyanvapi Case: अखिलेश और औवैसी पर मुकदमा दर्ज होगा या नहीं, 10 अक्तूबर को आएगा कोर्ट का आदेश

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अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी

अखिलेश यादव और असदुद्दीन ओवैसी
– फोटो : अमर उजाला

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ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के पास वजू करने और शिवलिंग को लेकर भड़काऊ बयान देने के लिए एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शहर मौलवी सहित अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज होगा या नहीं पर एसीजेएम पंचम एमपी एमएलए कोर्ट का आदेश 10 अक्तूबर को आएगा। इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद आदेश के लिए एसीजेएम ने 10 अक्तूबर की तारीख नियत की है।

अदालत में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, घनश्याम मिश्र, मदनमोहन यादव ने वादी हरिशंकर पांडेय की तरफ से दलीलें रखी, जिसमें मुख्य रूप से जिला जज की ओर से जारी उस आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें श्रृंगार गौरी मामला सुनवाई योग्य माना गया है।

अदालत में यह भी कहा गया सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग जो हिंदुओं के आराध्य है, वहां वजू कर के गंदगी फैलाई जा रही थी। इससे हिंदुओं की भावना आहत हो रही थी। साथ ही सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर रहे थे और शहर मौलवी व काजी तमाम समर्थकों के साथ नारेबाजी कर उन्माद फैला रहे थे।

ऐसे में मामले को सुनवाई योग्य मानते हुए विपक्षियों पर समुचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किए जाने का अनुरोध किया गया। अदालत ने दलीलें सुनने के बाद सुनवाई योग्य है या नहीं के बिंदु पर आदेश पारित करने के लिए 10 अक्तूबर की तिथि नियत कर दी।

क्या है पूरा मामला
ज्ञानवापी परिसर में 16 मई को कोर्ट कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान शिवलिंग मिलने के दावे के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद ओवैसी पर हिंदुओं की धार्मिक भावना आहत करने वाला बयान देने का आरोप लगा था। इस मामले में अधिवक्ता हरिशंकर पांडेय की ओर से अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया।
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कहा गया कि वजूखाने में जाकर हाथ-पैर धोना और शिवलिंग वाली जगह पर गंदा पानी जाना आस्था पर कुठाराघात है। यह भी कहा गया कि शिवलिंग को फव्वारा कहकर विद्वेष फैलाने का प्रयास किया गया। अखिलेश यादव ने पीपल के पेड़ के नीचे पत्थर रखने संबंधी बयान देकर लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत किया। असदुद्दीन ओवैसी व उनके भाई ने हिंदुओं के धार्मिक मामलों पर और स्वयंभू लार्ड विश्वेश्वर के खिलाफ लगातार अपमानजनक बातें कीं।

इस मामले में पुलिस आयुक्त को तहरीर देकर मुकदमा दर्ज करने की मांग की गई। मुकदमा दर्ज नहीं होने पर अदालत में वाद दायर किया गया। आरोप लगाया गया कि पूरे मामले पर साजिश में अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी, शहर काजी, शहर के उलेमा आदि शामिल हैं।

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न्यायालय में दायर वाद में ओवैसी और अखिलेश यादव सहित सात नामजद और 2000 अज्ञात के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मुकदमा दर्ज कर विवेचना की मांग की गई है।  अब इस मामले में 10 अक्तूबर को कोर्ट का आदेश आएगा। 

विस्तार

ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग के पास वजू करने और शिवलिंग को लेकर भड़काऊ बयान देने के लिए एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव, शहर मौलवी सहित अन्य लोगों पर मुकदमा दर्ज होगा या नहीं पर एसीजेएम पंचम एमपी एमएलए कोर्ट का आदेश 10 अक्तूबर को आएगा। इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद आदेश के लिए एसीजेएम ने 10 अक्तूबर की तारीख नियत की है।

अदालत में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह, घनश्याम मिश्र, मदनमोहन यादव ने वादी हरिशंकर पांडेय की तरफ से दलीलें रखी, जिसमें मुख्य रूप से जिला जज की ओर से जारी उस आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें श्रृंगार गौरी मामला सुनवाई योग्य माना गया है।

अदालत में यह भी कहा गया सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग जो हिंदुओं के आराध्य है, वहां वजू कर के गंदगी फैलाई जा रही थी। इससे हिंदुओं की भावना आहत हो रही थी। साथ ही सांसद असदुद्दीन ओवैसी, सपा प्रमुख अखिलेश यादव हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने के लिए सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर रहे थे और शहर मौलवी व काजी तमाम समर्थकों के साथ नारेबाजी कर उन्माद फैला रहे थे।

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