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हाथरस जिला अस्पताल
– फोटो : साेशल मीडिया
विस्तार
आगरा, लखनऊ और कानपुर में एच3एन2 इन्फ्लुएंजा के मरीज सामने आ चुके हैं। इसके बावजूद हाथरस में स्वास्थ्य विभाग का इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। जिले के सरकारी अस्पतालों में एच3एन2 इन्फ्लुएंजा की जांच की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है। इलाज तो छोड़िए एच3एन2 इन्फ्लुएंजा से संक्रमित मरीजों की पहचान नहीं हो पाएगी।
एच3एन2 इन्फ्लुएंजा वायरस से सांस से संबंधित वायरल संक्रमण होता है। विशेषज्ञ चिकित्सकों के मुताबिक तेज बुखार, खांसी, नाक बहना, गले में खराश, माशपेशियों में दर्द, सिर में दर्द, जोड़ों में दर्द, सांस लेने में परेशानी होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं। यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकता है। लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों और गर्भवती महिलाओं को इस बीमारी से सबसे ज्यादा खतरा है। अन्य बीमारियों से ग्रस्त कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों को भी इस बीमारी की गिरफ्त में आने की ज्यादा संभावना है।
जिला अस्पताल में आने वाले खांसी, जुकाम और बुखार के मरीजों का उपचार लक्षणों के आधार पर किया जा रहा है। अभी तक एच3एन2 को लेकर गाइडलाइन हमें नहीं मिली हैं। हमारे यहां इसकी जांच की सुविधा भी अभी उपलब्ध नहीं है। – डॉ. सूर्यप्रकाश, सीएमएस बागला जिला अस्पताल
लगातार बढ़ रहे जुकाम, खांसी और बुखार के मरीज
जिले में खांसी बुखार और जुकाम के मरीज लगतार बढ़ रहे हैं। इन बीमारियों से ग्रस्त मरीज बड़ी संख्या में निजी व सरकारी अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। जिले में एच3एन2 की जांच की सुविधा न होने के चलते वायरस से ग्रसित मरीजों की पहचान नहीं हो पा रही है। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी तक एच3एन2 का एक भी मरीज नहीं मिला है। ऐसे में चिकित्सक लक्षणों के आधार पर ही मरीजों का उपचार कर रहे हैं।
बचाव के उपाय
डॉ. सूर्यप्रकाश ने बताया कि यह संक्रामक रोग है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचना चाहिए और मास्क का इस्तेमाल करें। बार-बार अपनी नाक और मुंह को न छुएं। पानी पीते रहें और तरल पदार्थों का इस्तेमाल अधिक करें। बुखार, खांसी या सिरदर्द होने पर तुरंत चिकित्सक से परामर्श लें। सार्वजनिक स्थानों पर न थूकें।
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