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करौली बाबा डॉ. संतोष सिंह भदौरिया
– फोटो : अमर उजाला
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कानपुर के बिधनू में लवकुश आश्रम के करौली सरकार डॉ. संतोष सिंह भदौरिया राजनीति में भी अपनी पकड़ बनाने के लिए शुरुआत से सक्रिय रहा। एक करीबी की मेहरबानी से पहले किसानों की राजनीति में सक्रिय रहा। बाद में कानूनी पचड़ों में खुद को फंसता देख बाबागिरी के धंधे में उतरना पड़ा। सूत्रों के अनुसार बाबा राजनैतिक संरक्षण के लिए अपने बेटे को राजनीति में उतारने की जुगत में जुट गया है।
नोएडा के डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी को पीटने के मामले में करौली सरकार संतोष सिंह भदौरिया के खिलाफ पुलिस ने रिपोर्ट दर्जकर जांच शुरू की थी। इस दौरान बाबा के कई खुलासे लोगों के सामने हुए। सूत्र बताते हैं कि बाबा को 90 के दशक में किसानों की राजनीति अपने एक करीबी की मेहरबानी से मिली थी। करीबी ने जिले में भाकियू को खड़ा किया था। उस वक्त बाबा ऑटो, टेंपो चलाकर अपना परिवार पालता था। तभी करीबी की कोयलानगर में हत्या कर दी गई थी, जिसके बाद भाकियू की कमान संतोष भदौरिया ने खुद अपने हाथों में ले ली थी।
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