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लखनऊ विश्वविद्यालय।
– फोटो : amar ujala
विस्तार
राष्ट्रीय शैक्षिक नीति (एनईपी) 2020 के प्रावधानों के तहत अब पाठ्यक्रम के बीच में छात्रों का एक से दूसरे संस्थान में स्थानांतरण हो सकेगा। कुछ शर्तों का पालन करके छात्र एक कोर्स की पढ़ाई एक से ज्यादा संस्थानों में कर सकेंगे। लविवि में एकेडमिक बैंक फॉर कॉलेज एंड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स (एबेकस) की नीति बन चुकी है। नए सत्र से इसे लागू करने की तैयारी है।
लविवि प्रवक्ता डॉ. दुर्गेश श्रीवास्तव ने बताया कि अकादमिक लचीलेपन की अनुमति देने के लिए कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने चार सदस्यीय कमेटी बनाई थी। इसमें सदस्य सचिव के रूप में प्रो. पूनम टंडन, डीन एकेडमिक्स, प्रो. अरविंद अवस्थी (डीन आर्ट्स), प्रो. अवधेश कुमार (डीन सीडीसी), प्रो. विनीता प्रकाश (प्रिंसिपल, (आईटी कॉलेज) प्रो. डीके सिंह (प्रिंसिपल, नेशनल पीजी कॉलेज) शामिल हैं। समिति ने नीति लागू करने की सिफारिशें दी हैं। इन्हें पूरा करके छात्र कोर्स के बीच में ही एक से दूसरे संस्थान में जा सकेंगे। इसके लिए अबेकस-यूपी पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
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विवि से बाहर के विद्यार्थियों को एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स (एबीसी) व एबीसी के साथ एलयूआरएन पर भी पंजीकरण कराना होगा। लविवि इस तरह से आने वाले विद्यार्थियों को बची सीट पर मेरिट के हिसाब से दाखिला देगा। हालांकि, ऐसे स्थानांतरण में विषय व वर्ग नहीं बदला जा सकेगा। छात्रों को अपने क्रेडिट भी स्थानांतरित कराने होंगे। छात्र के कम क्रेडिट होंगे तो उन्हें अतिरिक्त क्रेडिट हासिल करने के लिए कहा जाएगा और उसका प्रवेश इस शर्त के अधीन होगा। यह सुविधा सत्र के बीच में उपलब्ध नहीं होगी। शैक्षणिक वर्ष की शुरुआत में ही इसका लाभ लिया जा सकता है। इसके साथ ही संस्था परिवर्तन के समय सभी फीस का भुगतान करना होगा।
स्नातक में सात, परास्नातक में चार साल में पूरा करना होगा कोर्स
एक बार पढ़ाई छोड़ चुके विद्यार्थियों को भी इस नीति के तहत दोबारा पढ़ने का मौका मिलेगा। इसमें यूजी सर्टिफिकेट या यूजी डिप्लोमा वाले छात्रों को तीन साल में डिग्री प्रोग्राम में फिर से प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। अधिकतम सात साल में डिग्री प्रोग्राम पूरा करना होगा। पीजी डिप्लोमा वाले छात्रों को दो साल में पीजी डिग्री प्रोग्राम में फिर से प्रवेश की अनुमति दी जाएगी और पीजी डिग्री प्रोग्राम चार साल की अधिकतम अवधि में पूरा करना होगा।
इन परिस्थितयों में जारी रहेगी सीधे स्थानांतरण की सुविधा
एबेकस से केंद्रीय स्तर से स्थानांतरण के साथ ही विवि के सहयुक्त कॉलेज के बीच विशेष परिस्थितियों में होने वाला स्थानांतरण कुछ शर्त के तहत चलता रहेगा। कॉलेजों और विश्वविद्यालय के बीच छात्रों के स्थानांतरण की अनुमति तब दी जा सकती है जब कॉलेज में वह कोर्स नहीं चल रहा हो। छात्र स्नातक चौथे साल में दाखिला चाहता हो और कॉलेज में उसका संचालन हो। ये दाखिले भी सीट की उपलब्धता पर निर्भर करेंगे।
चार साल के स्नातक की डिग्री के लिए 7.5 सीजीपीए अनिवार्य
लविवि ने स्नातक पाठ्यक्रम को लेकर भी स्पष्टीकरण जारी किया है। इसके तहत चार साल के यूजी प्रोग्राम को यूजी डिग्री (ऑनर्स विद रिसर्च) नाम दिया जाएगा। पहले छह सेमेस्टर में 7.5 और उससे अधिक का सीजीपीए हासिल करने वाले ही चौथे वर्ष में शोध का चयन कर सकते हैं। इसके साथ ही विवि और एसोसिएटेड कॉलेज के ऐसे विभाग ही चौथे साल के पाठ्यक्रम का संचालन कर सकेंगे जहां पुस्तकालय, पत्रिकाएं, कंप्यूटर लैब के अलावा सॉफ्टवेयर, प्रयोगात्मक अनुसंधान कार्य के लिए प्रयोगशाला व कम से कम दो ऐसे नियमित शिक्षक हों जो पीएचडी पर्यवेक्षक के रूप में मान्य हों।
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