Mid Day Meal Scam: 11.46 करोड़ के घोटाले का आरोपी शिक्षक निलंबित, रडार पर 50 अधिकारी-कर्मचारी

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फिरोजाबाद में वर्ष 2008 से 2014 तक मिड डे मील (एमडीएम) वितरण में हुए 11.46 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल शिक्षक चंद्रकांत शर्मा को बीएसए ने निलंबित कर दिया है। विभाग में एमडीएम वितरण से जुड़ी पत्रावलियों को फिर से खंगालना शुरू कर दिया है। वहीं 50 अधिकारी और कर्मचारी विजिलेंस के रडार पर हैं।

इस मामले में विजिलेंस ने विवेचना शुरू कर दी है। सात वर्ष तक चली करोड़ों रुपये की बंदरबांट विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। विजिलेंस ने बेसिक शिक्षा विभाग, उप निबंधक फर्म्स एवं चिट समेत आठ विभागों को आरोपी बनाया है। 50 अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। प्रभारी एसपी विजिलेंस आगरा परिक्षेत्र आलोक शर्मा के अनुसार मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसकी विवेचना की जा रही है।

बेसिक शिक्षा विभाग फिरोजाबाद

वर्ष 2008 से मई 2014 के दौरान कौन-कौन अधिकारी तैनात रहे। स्कूलों में मिड डे मील वितरण की व्यवस्था का समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। इसके लिए विभाग के ही लोगों की टीम होती है। इस टीम ने कब-कब मिड डे मील वितरण का औचक निरीक्षण किया। आरोपी शिक्षक के खिलाफ इन सात वर्ष में विभाग के पास घोटाले की शिकायत आई या नहीं, यदि शिकायत मिली तो विभाग के अधिकारी ने इस पर क्या कार्रवाई की। 

उप निबंधक फर्म्स एवं चिट्स, आगरा

आरोपी ने 10 जनवरी 2007 को उप निबंधक फर्म्स एवं चिट्स आगरा कार्यालय में फर्जी पहचानपत्र व राशन कार्ड लगा सारस्वत आवासीय शिक्षा सेवा समिति, शिकोहाबाद के नाम से संस्था का पंजीकरण कराया। सोसायटी का पंजीकरण करते समय कौन-कौन अधिकारी यहां तैनात थे। उन्होंने संस्था के दस्तावेजों के सत्यापन के लिए क्या प्रक्रिया अपनाई। सारा घोटाला सोसायटी का पंजीकरण कराने के बाद किया गया। इसलिए उप निबंधक कार्यालय के जिम्मेदारों के नाम भी विवेचना में खोले जाएंगे।

पंजाब नेशनल बैंक, शिकोहाबाद

सारस्वत आवासीय शिक्षा सेवा समिति का खाता पंजाब नेशनल बैंक में था। घोटाले के दौरान बैंक में कौन-कौन प्रबंधक रहे। घोटाले के मुख्य आरोपी शिक्षक चंद्रकांत शर्मा उर्फ सुनील शर्मा द्वारा रकम निकासी के दौरान स्टाफ की भूमिका की जांच की जाएगी। 

मिड डे मील समन्वयक

घोटाले के दौरान नगरीय प्राथमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों का समन्वयक कौन-कौन रहा। समन्वयक की भूमिका पूरी तरह से संदिग्ध है।

आगरा के विभिन्न बैंक

आरोपी ने एक्सिस बैंक हींग की मंडी, सिंडिकेट बैंक बोदला रोड सिकंदरा, इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, कॉरपोरेशन बैंक आवास विकास कॉलोनी, डाकघर अछनेरा और सिकंदरा में अपनी पत्नी और बच्चों के नाम से रुपये जमा कराए। विवेचना में विजिलेंस बैंकों के जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच करेगी।

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नगर निगम आगरा

आरोपी शिक्षक ने सोसायटी पंजीकृत कराने के लिए फर्जी दस्तावेज जैसे राशन कार्ड आदि बनवाया था। इन दस्तावेजों को बनवाने में किनकी भूमिका थी। नगर निगम के संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ मिलकर उसने कौन-कौन से दस्तावेज बनवाए थे।

आवास विकास परिषद

आरोपी पर आगरा में करोड़ों की चल-अचल संपत्ति बनाने का आरोप है। ताजगंज निवासी राजकमल शर्मा से सेक्टर चार में पत्नी के नाम भूखंड खरीदा। उसके भवन का मानचित्र राजकमल के नाम से स्वीकृत हैं। उसकी संपत्तियों के मानचित्र स्वीकृत करने में परिषद के स्टाफ की भूमिका की जांच की जाएगी।

टोरंट पावर

विजिलेंस ने अपने मुकदमे में टोरंट पावर को भी आरोपी बनाया है। शिक्षक को उसने किस-किस नाम से और कहां-कहां कितने कनेक्शन दिए। उसकी भूमिका की जांच को विजिलेंस अपनी विवेचना में शामिल करेगी।

विस्तार

फिरोजाबाद में वर्ष 2008 से 2014 तक मिड डे मील (एमडीएम) वितरण में हुए 11.46 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल शिक्षक चंद्रकांत शर्मा को बीएसए ने निलंबित कर दिया है। विभाग में एमडीएम वितरण से जुड़ी पत्रावलियों को फिर से खंगालना शुरू कर दिया है। वहीं 50 अधिकारी और कर्मचारी विजिलेंस के रडार पर हैं।

इस मामले में विजिलेंस ने विवेचना शुरू कर दी है। सात वर्ष तक चली करोड़ों रुपये की बंदरबांट विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं है। विजिलेंस ने बेसिक शिक्षा विभाग, उप निबंधक फर्म्स एवं चिट समेत आठ विभागों को आरोपी बनाया है। 50 अधिकारी और कर्मचारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। प्रभारी एसपी विजिलेंस आगरा परिक्षेत्र आलोक शर्मा के अनुसार मुकदमा दर्ज किया गया है, जिसकी विवेचना की जा रही है।

बेसिक शिक्षा विभाग फिरोजाबाद

वर्ष 2008 से मई 2014 के दौरान कौन-कौन अधिकारी तैनात रहे। स्कूलों में मिड डे मील वितरण की व्यवस्था का समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। इसके लिए विभाग के ही लोगों की टीम होती है। इस टीम ने कब-कब मिड डे मील वितरण का औचक निरीक्षण किया। आरोपी शिक्षक के खिलाफ इन सात वर्ष में विभाग के पास घोटाले की शिकायत आई या नहीं, यदि शिकायत मिली तो विभाग के अधिकारी ने इस पर क्या कार्रवाई की। 

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