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फाइल फोटो
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भाजपा ने नगरीय निकाय व लोकसभा चुनाव से पहले विधान परिषद में छह सदस्यों के मनोनयन का प्रस्ताव राजभवन भेजकर एक साथ तीन संदेश दिए हैं। पहला, पार्टी को अपने परंपरागत आधार वोटबैंक का पूरा ख्याल है, जिससे मनोनयन के लिए पांच नाम दिए गए हैं।
दूसरा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्तर से मुस्लिम पसमांदा समाज को भाजपा से जोड़ने की लगातार की जा रही बात सिर्फ जुबानी जमा खर्च नहीं है, बल्कि पार्टी इस समाज के प्रति गंभीर है। तीसरा, ”सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास व सबका प्रयास” की जो बात की जा रही है, वह पार्टी की योजनाओं व नीतियों के साथ-साथ राजनीतिक भागीदारी में भी इसे हरसंभव स्थान देने की कोशिश है।
भाजपा ने विधान परिषद में मनोनयन के लिए भेजे गए छह सदस्यों में एक ब्राह्मण, एक वैश्य, एक अनुसूचित जाति, दो पिछड़े वर्ग के साथ एक मुस्लिम समाज से हैं। इसमें पार्टी ने नगर निकाय चुनाव में सर्वाधिक चर्चा में आए पिछड़े समाज को सर्वाधिक दो स्थान दिया है।
इसके बाद अगड़े समाज से ब्राह्मण के साथ दलित व अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। पार्टी ने सामाजिक समीकरण पर ध्यान देते हुए उन जातियों मौका दिया है, जिनका विधान परिषद में पार्टी की ओर से अब तक या तो प्रतिनिधित्व नहीं था या उनका प्रतिनिधित्व बढ़ाने की जरूरत थी।
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